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करों की बकाया वसूली से भरेगा सरकारी खजाना, 84 फीसद कर राशि अदालती मामलों में फंसी

अगर बकाया टैक्स राशि वसूल हो जाए तो सरकार को कम से कम एक साल तक पैसा उधार लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 04 Feb 2018 11:59 AM (IST)Updated: Mon, 05 Feb 2018 08:02 AM (IST)
करों की बकाया वसूली से भरेगा सरकारी खजाना, 84 फीसद कर राशि अदालती मामलों में फंसी
करों की बकाया वसूली से भरेगा सरकारी खजाना, 84 फीसद कर राशि अदालती मामलों में फंसी

नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। बकाया टैक्स वसूली हो जाए तो सरकार मालामाल हो जाएगी। सरकार को कम से कम एक साल उधार नहीं लेना पड़ेगा। केंद्र सरकार की 8.72 लाख करोड़ रुपये से अधिक बकाया टैक्स राशि अभी तक वसूल नहीं हो पाई है। खास बात यह है कि इसमें से 84 फीसद कर राशि अदालती मामलों में फंसी है जो देश के सकल घरेलू उत्पाद की 4.5 प्रतिशत है। अदालतों में टैक्स मामलों की संख्या में भी हाल के वर्षो में वृद्धि हुई है। यही वजह है कि सरकार के नीतिगत दस्तावेज आर्थिक सर्वेक्षण में भी इस मुद्दे की ओर ध्यान खींचा गया है।

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केंद्रीय करों की कितनी राशि वसूली जानी है, इसका उल्लेख सरकार ने आम बजट 2018-19 में किया है। बजट दस्तावेजों में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2016-17 के अंत में 8,72,693 करोड़ रुपये टैक्स राशि ऐसी थी जो सरकार के खातों में ‘जुटाई गई लेकिन वसूल न हो पाने वाले कर राजस्व’ के रूप में दर्ज है। यह धनराशि आयकर, कॉरपोरेट टैक्स, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और सेवा कर के रूप में जुटाकर खजाने में आनी थी लेकिन किसी न किसी वजह से इसे वसूला नहीं जा सका। केंद्र सरकार को राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजटीय प्रबंधन नियमावली 2004 के नियम 6 के तहत हर साल बजट में इस तथ्य का उल्लेख करना पड़ता है। दरअसल इस तथ्य से ही पता चलता है कि टैक्स विभाग कर राशि को वसूलने में कितने प्रभावी हैं।

आम बजट 2018-19 के ‘प्राप्ति बजट’ में बकाया टैक्स राशि का पूरा ब्यौरा दिया गया है। इसे देखने पर मुख्यत: दो तथ्य सामने आते हैं। पहला तथ्य यह कि करीब 60 फीसद टैक्स राशि ऐसी है जिसे दो साल में भी वसूला नहीं गया है। वहीं 32 फीसद राशि ऐसी है जिसे दो से पांच साल में भी वसूल कर पाना संभव नहीं हुआ है। इसी तरह छह प्रतिशत कर राशि ऐसी है जो पांच से दस साल तक बकाया है। वहीं दो प्रतिशत कर राशि बकाया के मामले दस साल से भी पुराने हैं।

दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जो 8.72 लाख करोड़ रुपये की कर राशि वसूल की जानी है उसमें से 7.38 लाख करोड़ रुपये राशि अदालती मामलों में फंसी है। यह ऐसा मुद्दा है जिसे लेकर सरकार के नीतिगत दस्तावेज आर्थिक सर्वेक्षण-2017-18 में भी चर्चा की गयी है।1 आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक प्रत्यक्ष और परोक्ष करों से संबंधित 2.82 लाख टैक्स के मामले विभिन्न स्तरों पर अदालत में लंबित हैं। यह बात अलग है कि अधिकांश मामलों में टैक्स विभाग हार जाता है। इसके बावजूद टैक्स विभाग लगातार अधिकतर कर मामलों को अदालत में ले जाता है।

बहरहाल इतना तय है कि अगर टैक्स की यह राशि वसूल हो जाए तो सरकार को कम से कम एक साल तक पैसा उधार लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आम बजट 2018-19 में सरकार ने अपना खर्च चलाने के लिए छह लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि उधार लेने का लक्ष्य रखा है।


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