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Budget 2022 : आम आदमी तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने के लिए डिजिटल पर होगा सरकार का विशेष जोर

स्वास्थ्य मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय को बजट पर परामर्श बैठक के दौरान साफ तौर पर बता दिया गया है कि देश में डाक्टरों व स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और ग्रामीण इलाकों में इनके नितांत अभाव को देखते हुए डिजिटल स्वास्थ्य ढांचा एकमात्र उपाय है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 06 Jan 2022 07:13 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 09:09 AM (IST)
Budget 2022 : आम आदमी तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने के लिए डिजिटल पर होगा सरकार का विशेष जोर
नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन को भी सकता है बूस्टर डोज (फाइल फोटो)

नीलू रंजन, नई दिल्ली। कोरोना काल के अनुभवों और देश के बड़े हिस्से में गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को देखते हुए इस बार बजट में स्वास्थ्य ढांचे को डिजिटल बनाने के लिए विशेष प्रावधान हो सकता है। इसके तहत सुदूर ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने की कोशिश होगी। स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि डिजिटल स्वास्थ्य ढांचा मौजूदा वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है, जो देश में स्वास्थ्य क्षेत्र की मौजूदा चुनौतियों से निपटने में कारगर हथियार साबित हो सकता है। डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत को इस बात से समझा जा सकता है कि देश में जनसंख्या के अनुपात में डाक्टरों की भारी कमी है।

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मौजूदा समय में देश में 1447 की जनसंख्या पर एक डाक्टर उपलब्ध हैं। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार एक हजार की जनसंख्या पर एक डाक्टर होना चाहिए। यदि ग्रामीण इलाकों के लिहाज से देंखे तो स्थिति और विकट है। देश में अधिकांश डाक्टर शहरी इलाकों में केंद्रित हैं और ग्रामीण इलाकों में उनकी तैनाती की अब तक की गई कोशिश सफल नहीं हो पाई है। हालत यह है कि 65 फीसद आबादी अब भी ग्रामीण इलाकों में रहती है। लेकिन वहां 25 हजार की आबादी पर एक डाक्टर ही उपलब्ध है। यही स्थिति अस्पतालों की भी है। ऐसे में अधिकांश आबादी को झोलाछाप डाक्टरों के भरोसे रहना पड़ता है।

डिजिटल स्वास्थ्य ढांचा एकमात्र है उपाय

स्वास्थ्य मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय को बजट पर परामर्श बैठक के दौरान साफ तौर पर बता दिया गया है कि देश में डाक्टरों व स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और ग्रामीण इलाकों में इनके नितांत अभाव को देखते हुए डिजिटल स्वास्थ्य ढांचा एकमात्र उपाय है। ऐसे डिजिटल स्वास्थ्य ढांचे तैयार करने की तकनीक देश में मौजूद है और टेली-डिजिटल हेल्थकेयर के नाम से कई जगहों पर इसका पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया है।

टेली डिजिटल हेल्थकेयर के माध्यम से कम संसाधन खर्च कर बड़ी जनसंख्या को सस्ती लेकिन गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं। यहां तक गांव में बैठा व्यक्ति भी डिजिटल माध्यम से दिल्ली, मुंबई में बैठे वरिष्ठ डाक्टरों से परामर्श कर अपना इलाज शुरू कर सकता है। इसके लिए कामन सर्विस सेंटर या ग्राम पंचायतों में इसके लिए जरूरी उपकरणों और प्रशिक्षित युवाओं को लगाया जा सकता है।

ई-संजीवनी पोर्टल का अनुभव मददगार हो रहा साबित

देश के सभी ग्राम पंचायतों को ब्राडबैंड से जोड़ने का काम पहले ही युद्ध स्तर पर किया जा रहा है और इसके माध्यम से इंटरनेट की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सफलता मिली है, जो डिजिटल स्वास्थ्य ढांचे लिए जरूरी है। कोरोना काल में शुरू किये गए ई-संजीवनी पोर्टल का अनुभव इसमें मददगार साबित हो सकता है। इस पोर्टल पर हर दिन हजारों लोग विशेषज्ञों डाक्टरों से सलाह ले रहे हैं।

पिछले साल बजट में वित्तमंत्री ने डिजिटल हेल्थ मिशन शुरू करने की घोषणा की थी। अप्रैल में पायलट प्रोजेक्ट के बाद इसे पूरे देश में लांच भी कर दिया गया है। इसके तहत नेशनल हेल्थ अथारिटी ने मरीजों को हेल्थ रिकार्ड को डिजिटल रूप में रखना शुरू कर दिया है और देश भर के अस्पतालों और जांच केंद्रों को इससे जोड़ने का काम चल रहा है। डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत इलाज कराने वालों की जांच और इलाज का पूरा डाटा एक डिजिटल आइडी के तहत सुरक्षित रखा जाता है। देश में इसे मिशन मोड में लागू करने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया जा सकता है।

नेशनल हेल्थ मिशन के लिए साबित हो सकता है गेम चेंजर

टीकाकरण अभियान के कारण देश के 85 करोड़ से अधिक लोगों का डाटा नेशनल हेल्थ अथारिटी के पास मौजूद है। नेशलन हेल्थ मिशन के लिए यह गेम चेंजर साबित हो सकता है। इस साल बजट में इसे बूस्टर डोज मिलने की उम्मीद की जा रही है। मोदी सरकार स्वास्थ्य को सिर्फ अस्पताल, डाक्टर और इलाज के संकीर्ण नजरिये से देखने के बजाय एक समग्र दृष्टिकोण से देखने की परंपरा शुरू की है।

इसी क्रम में आयुष्मान भारत योजना के तहत देश भर में वेलनेस सेंटर खोलने की शुरूआत की गई। आयुष्मान भारत, वेलनेस सेंटर, टेली-डिडिटल हेल्थकेयर और डिजिटल हेल्थमिशन के सहारे सभी लोगों को सर्वसुलभ सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए इस बार के स्वास्थ्य बजट में विशेष बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। पिछले साल निर्मला सीतारमण ने पहली बार 137 फीसद की बढ़ोतरी करते हुए बजट में स्वास्थ्य के लिए 2.38 लाख करोड़ का प्रावधान किया था। यह सिलसिला जारी इस बार भी जारी रहेगा। 


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