मूडीज ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग बरकरार रखी, कहा- पटरी से नहीं उतरेगी भारतीय अर्थव्यवस्था
मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को बरकरार रखते हुए अर्थव्यवस्था के तेज गति से बढ़ने की उम्मीद जताई है। रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली की गुणवत्ता में और सुधार होगा क्योंकि अर्थव्यवस्था अब महामारी के दौर से बाहर निकल रही है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने भारत के लिए अपनी सॉवरेन रेटिंग 'Baa3' पर बरकरार रखी है। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष, उच्च मुद्रास्फीति और वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों के कठिन होने के बावजूद भी महामारी के बाद भारत की आर्थिक गतिविधियों के पटरी से उतरने की आशंका नहीं है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, एजेंसी ने अपनी विज्ञप्ति में कहा है कि फिलहाल, भारत की सबसे बड़ी चुनौतियों में कम प्रति व्यक्ति आय, सरकार के बढ़ते हुए कर्ज, कम ऋण क्षमता और सीमित होती सरकारी प्रभावशीलता जैसी चीजें शामिल हैं। एजेंसी ने कहा है कि भारत के विकास का स्थिर दृष्टिकोण इस बात को दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली के बीच दिखने वाले जोखिम कम हो रहे हैं। इन दिनों बैंकों के पास पूंजी का बफर है, तरलता खूब है और बैंक तथा गैर-बैंकिंग संस्थानों के लिए वित्तीय जोखिम बहुत कम है। हालांकि ऊंचे कर्ज का जोखिम बना हुआ है। एजेंसी ने कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि अगले कुछ वर्षों में राजकोषीय घाटे में धीरे-धीरे कमी आएगी।
आगे बेहतर होगी भारत की रेटिंग
मूडीज ने कहा कि वह रेटिंग को आगे और भी अपग्रेड कर सकता है यदि भारत का आर्थिक विकास अपेक्षा से अधिक बढ़ जाता है। यह आर्थिक और वित्तीय क्षेत्र के सुधारों को लागू करने के बाद ही हो सकता है, जिसके कारण निजी क्षेत्र के निवेश में महत्वपूर्ण और लगातार वृद्धि हुई है। सरकार के कर्ज के बोझ में लगातार गिरावट और कर्ज का बोझ सहन करने की क्षमता में सुधार से भी क्रेडिट प्रोफाइल को समर्थन मिलेगा।
बैंकों में पूंजी अनुपात बढ़ा
रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली की गुणवत्ता में और सुधार होगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था अब महामारी के दौर से बाहर निकल रही है। जैसे-जैसे इसमें सुधार आएगा, बैंकों के लिए स्थितियां अनुकूल होती जाएंगी और इससे व्यावसायिक विश्वास को मजबूती मिलेगी। इसके बाद बैंकिंग सिस्टम की एसेट क्वालिटी और उसके फायदे में सुधार होगा। पिछले एक साल में सार्वजनिक और निजी, दोनों बैंकों में पूंजी अनुपात बढ़ा है।