मछली उत्पादन में बढ़ोत्तरी पर जोर, मछली के निर्यात को बढ़ाने से विदेशी मुद्रा बढ़ने की उम्मीद
मछली निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2024-24 एक लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गत वर्षो में मछली उत्पादन की सात प्रतिशत औसत वार्षिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुए सरकार ने मत्स्य पालन पर विशेष फोकस किया ताकि रोजगार के अवसर बढ़ने के साथ विदेशी मुद्रा का खजाना भी बढ़े। वर्ष 2024-25 तक मछली के निर्यात को बढ़ा कर एक लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मछली पालन के साथ समुद्री शैवाल व खरपतवार उगाने और केज कल्चर को भी बढ़ावा देने का प्रस्ताव किया है।
सरकार मछुआरों की सुरक्षा, समृद्धि और भविष्य को लेकर चिंतित
सरकार मछुआरों की सुरक्षा, समृद्धि और भविष्य को लेकर चिंतित दिखी। तटीय क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं को मत्स्य प्रसंस्करण के जरिए लाभ मिलता है। जिससे 32 लाख से अधिक लोगों को सीधे रोजगार मुहैया होता है। बजट पूर्व पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में मत्स्यपालन को बढ़ावा देने की संस्तुति की गयी थी। यह क्षेत्र नियमित प्रगति को दर्शाता है।
समुद्री उत्पाद निर्यात में अग्रणी बनने की ओर अग्रसर
विश्व में भारत के समुद्री उत्पाद निर्यात में अग्रणी बनने की ओर अग्रसर है। वर्ष 2018-19 में समुद्री उत्पाद का निर्यात 13,92,559 मीट्रिक टन था। इसका मूल्य 46,589 करोड़ रुपये बनता है। भारत में मत्स्य पालन के समृद्ध संसाधन मौजूद है। सरकार ने समुद्री मत्स्य पालन के अलावा नदियों, नहरों, झीलों व तालाबों में भी मछली पालन को प्रोत्साहित किया है। देश में कुल मछली उत्पादन 13.43 मिलियन मीट्रिक टन में से समुद्री मछली का हिस्सा 3.71 मिलियन मीट्रिक टन है और अंतर्देशीय मछली उत्पादन 9.7 मिलियन मीट्रिक टन है।
वर्ष 2022-23 तक मछली उत्पादन 200 लाख टन
मत्स्य पालन को वर्ष 2022-23 तक 200 लाख टन कराने का लक्ष्य निर्धारित करते हु्रए सरकार ने 3477 सागर मित्रों और 500 मत्स्य उत्पादक संगठनों के जरिए विस्तार की योजना तैयार की है। मछली निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2024-24 एक लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अंतर्देशीय मछली उत्पादन में बढ़ोत्तरी पर भी जोर दिया गया है। बता दे कि सर्वाधिक उत्पादन वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, उड़ीसा, तेलगांना, झारखंड, हरियाणा व कर्नाटक की हिस्सेदारी अधिक है।