Budget 2020: भारत के रक्षा बजट में 6 फीसद की इजाफा, 4.7 लाख करोड़ किए आवंटित
भारतीय सेना को मजबूती देने के लिए आम बजट 2020-21 में रक्षा क्षेत्र के बजट में छह फीसद का इजाफा किया गया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। वित्तमंत्री ने 2020-21 के बजट में देश की सुरक्षा को पुखता बनाने के मकसद से रक्षा क्षेत्र को मिलने वाले बजट में 6 फीसद का इजाफा किया है। इसको 2019-20 की तुलना में 3.18 लाख करोड़ से बढ़ाकर 3.37 लाख करोड़ किया गया है। इस बजट की सबसे खास बात ये है कि सेना के आधुनिकीकरण और नए और अत्याधुनिक हथियारों की खरीद के लिए सेना को 1,10,734 करोड़ का आवंटन किया गया है। वर्ष 2019-20 में इस क्षेत्र के लिए दिए गए बजट से ये राशि अधिक है। इस बजट में यदि रक्षा पेंशन को भी जोड़ा जाए तो इस बार का ये बजट करीब 4.7 लाख करोड़ का है। इस बार रक्षा पेंशन के बजट को पिछले वर्ष की तुलना में 1.33 लाख करोड़ से बढ़ाकर 1.77 लाख करोड़ किया गया है।
बीते कुछ वर्षों पर यदि नजर डालेंगे तो पता चलता है कि भारत ने लगातार अपने रक्षा बजट में इजाफा किया है। यह इस लिहाज से भी खास है क्योंकि भारत अपनी सुरक्षा नीतियों के साथ-साथ अपनी सेना के आधुनिकीकरण को लेकर काफी सजग हुआ है। वहीं भारत का पड़ोसी देश चीन अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूती देने के निए काफी कुछ नया कर रहा है। इसलिए भी रक्षा बजट में इजाफा करना बेहद जरूरी था।
गौरतलब है कि बीते वर्ष आम चुनाव से पहले जो आर्थिक लेखाजोखा तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने पेश किया था उसमें भी उन्होंने रक्षा क्षेत्र के लिए खजाना खोल दिया था। वित्त मंत्री ने तब एलान किया कि रक्षा बजट का आवंटन तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होगा। रक्षा बजट में पहली बार इतनी बड़ी धन राशि का आवंटन किया गया था। 2018 की तुलना में 2019 के रक्षा बजट में पांच हजार करोड़ की वृद्धि की गई थी। 2018 का रक्षा बजट 2.95 लाख करोड़ था। 2017 का रक्षा बजट 2.74 करोड़ रुपये था। इसके अलावा 2019 के बजट में उन जवानों के भत्ते में भी इजाफा किया गया था जो हाई रिस्क इलाकों में अपनी जान दांव पर लगाकर देश की रक्षा करते हैं।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि चीन की तुलना में भारत का रक्षा बजट काफी कम रहा है। चीन का रक्षा बजट भारत से तीन गुना ज्यादा है। वहीं भारत इस क्षेत्र पर अपनी जीडीपी का दो फीसद से भी कम खर्च करता आया है। हालांकि रक्षा जानकार हर बार रक्षा बजट को जीडीपी के तीन फीसद तक करने की मांग करते रहे हैं। इसकी वजह ये भी है कि अमेरिका अपनी जीडीपी का जहां 4 फीसद खर्च करता है वहीं चीन 2.5 और पाकिस्तान 3.5 प्रतिशत रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित करता है।
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