जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम मूल्य पर किसी भी दशा में कृषि उत्पादों का आयात नहीं होना चाहिए। किसानों के हितों को देखते हुए ही कृषि संबंधी नीतियां बनाई जाएं। कृषि विभागों में रिक्त पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए। इसी तरह के खरे-खरे कई अहम सुझाव किसान प्रतिनिधियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दिया।
वित्त मंत्री सीतारमण मंगलवार को बजट पूर्व चर्चा के लिए किसान प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया था। किसान नेताओं ने इस दौरान बजट तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल करने पर प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने वित्त मंत्री से पिछले बजट पूर्व चर्चा का जिक्र करते हुए कहा कि उसके बाद सालभर बीत गए लेकिन कृषि सचिव ने एक भी बैठक नहीं बुलाई।
वित्तमंत्री को किसान प्रतिनिधियों का खरा-खरा सुझाव
भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने बताया कि बैठक में वित्त मंत्री सीतारमण के साथ बजट चर्चा में पराली जलाने की समस्या का उल्लेख किया गया। किसान प्रतिनिधियों ने साफ तौर पर कहा कि इसके लिए जिस एक हजार करोड़ रूपये की भारी सब्सिडी से मशीनरी किसानों को दी जा रही है, उसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। किसानों से पूछे और ऐसी मशीनरी की उपयोगिता जाने बगैर इसके प्रविधान करना फिजूलखर्ची है। उन्होंने इस दौरान कहा कि कृषि संबंधी नीतियां और कार्यक्रम तैयार करने में घरेलू प्रगतिशील किसानों वैज्ञानिकों के राय मशविरा किए बगैर विदेशी एजेंसियों और कंपनियों से समझौता किया जाता है। ऐसे लोगों की सोच और हमारी जरूरतों का ध्यान रखने के बजाए वे अपनी एजेंडा लागू करने में ज्यादा जोर देती हैं। घरेलू क्षमता पर विश्वास करने के बजाए कहीं और से मशविरा करने का कोई औचित्य नहीं है।
किसी कीमत पर MSP के मूल्य पर नहीं हो कृषि उत्पादों का आयात
वित्त मंत्री सीतारमण को दिए अपने सुझावों में किसान नेताओं से स्पष्ट कहा कि किसी भी हाल में एमएसपी से कम मूल्य पर किसी कृषि उत्पादों का आयात नहीं किया जाना चाहिए। अगर ऐसा किया गया तो इससे घरेलू किसान हतोत्साहित होंगे। कृषि राज्य का विषय है। राज्यों में 40 से 50 फीसद तक एक्सटेंशन कर्मचारियों व अधिकारियों के पद रिक्त पड़े हैं। जिन्हें भरे बगैर कृषि का भला होने वाला नहीं है। केंद्रीय स्तर पर इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) के विभिन्न शोध संस्थानों में 60 फीसद तक वैज्ञानिकों के पद रिक्त हैं। उन्हें तत्काल भरने की जरूरत है। मानव संसाधन को मजबूत करना आवश्यक है। बजट पूर्व चर्चा में कहा गया कि कृषि क्षेत्र में जितनी धनराशि खर्च हो रही है, उसके लाभार्थियो को हुए लाभ का आकलन करना जरूरी है। कृषि उत्पाद और कृषि प्रसंस्करण उत्पादों पर लगाए जाने वाले करों के प्रभाव की भी समीक्षा होनी चाहिए।