आम बजट 2018 से पहले देश के किसान संगठनों ने सरकार के समक्ष रखीं ये मांगे
मौजूदा समय में देश सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के आलू किसान की स्थिति चर्चा का विषय है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त मंत्री के आगामी आम बजट से देश के किसान संगठनों को भी काफी सारी उम्मीदें हैं। केंद्रीय सांख्यिकी विभाग की ओर से हाल ही में जारी किए गए आईआईपी (8.4%) और सीपीआई (5.21%) महंगाई के नंबर आम बजट 2018 से पहले काफी अहमियत रखते हैं। मोदी सरकार को आम बजट तैयार करने के दौरान इन आंकड़ों को ध्यान में रखना ही होगा। गौरतलब है कि अरुण जेटली को अपना अगला और चौथा आम बजट 1 फरवरी 2018 को पेश करना है।
क्या है किसान संगठनों की मांग: ऐसे में जब विश्लेषकों को उम्मीद है कि आम चुनाव 2019 से पहले पेश होने वाले आम बजट में सरकार रियायतें एवं कल्याणकारी योजनाएं की घोषणा कर सकती है। आरएसएस से जुड़े हुए कृषि संगठन भारतीय कृषि संगठन ने सरकार से मांग रखी है कि सरकार कृषि उत्पादन के लिए अधिकतम खुदरा कीमतों (मैक्सिमम रिटेल प्राइज) को तय करे। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय सचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने बताया, “सरकार को सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों की कीमतों में एक कैप लगाए जाने की जरूरत है। यह जायज नहीं है कि किसान अपने टमाटर को 5 रुपए प्रति किलो की दर से बेचें और उसी वक्त मंडी में टमाटर के भाव 30 रुपए प्रति किलोग्राम हों। वहीं उपभोक्ताओं तक पहुंचते पहुंचते इसकी कीमत 50 रुपए हो जाती है। किसान सारा रॉ मैटीरियल मैक्सिमम रिटेल प्राइज पर खरीदते हैं, लेकिन अपने उत्पादन को मिनिमम रिटेल प्राइज पर बेचते हैं।”
गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश के आलू किसान की स्थिति चर्चा का विषय है। 7 जनवरी 2018 को यूपी के आलू किसान ने अपने आलू को विधानसभा और मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर फेंककर अपना विरोध जताया था।