Move to Jagran APP

Budget 2021: विकासोन्मुख हो बजट, नौकरियों के सृजन और रोजगार के लिए अर्थव्यवस्था में भारी निवेश की जरूरत

Budget 2021 केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय को 4 लाख करोड़ से बढ़ाकर 5.5 लाख करोड़ रुपये तक करना होगा ताकि जरूरी शुरुआती गति बन सके। राज्यों को भी आवंटन करना होगा क्योंकि बुनियादी ढांचे पर ज्यादातर खर्च राज्यों के स्तर पर होता है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 04:02 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 07:23 AM (IST)
Budget 2021: विकासोन्मुख हो बजट, नौकरियों के सृजन और रोजगार के लिए अर्थव्यवस्था में भारी निवेश की जरूरत
Budget 2021 ( P C : Flickr )

नई दिल्ली, कुमारेश रामकृष्णन। भारत ने आंकड़ों के हिसाब से भी अब तक के सबसे कमजोर वित्त वर्ष का सामना किया है, जो कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित रहा है। महामारी के शुरुआती महीनों से जून तक आर्थ‍िक गतिविधि‍यों में भारी गिरावट आई, इसके बाद सितंबर के बाद धीरे-धीरे इसमें सुधार हुआ। भारत इस मामले में सौभाग्यशाली रहा है कि यहां अन्य यूरोपीय देशों और कुछ पूर्वी एशियाई देशों की तरह कोरोना की दूसरी लहर नहीं आई है।

loksabha election banner

वित्त वर्ष 2021 की रियल जीडीपी में 7 से 8.5 फीसद तक की गिरावट आने का अनुमान है, जो भारत के इतिहास में सबसे कम जीडीपी रेट होगा। एक अनुकूल आधार प्रभाव और आर्थ‍िक गतिविधि‍यों के फिर से पटरी पर लौटने को देखते हुए अगले वर्ष में रियल जीडीपी 8-9 फीसदी और नॉमिनल जीडीपी 12.5-13.5 फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद है। आर्थ‍िक गतिविधि‍यों के पटरी पर लौटने के बावजूद कई ऐसे सेक्टर हैं, खासकर सेवाओं में, जो अब भी बुरी तरह प्रभावित हैं। इनमें हॉस्पिटलिटी, टूरिज्म, रेस्टोरेंट, एंटरटेनमेंट और एविएशन शामिल हैं।

बजट से हमारी प्राथमिक उम्मीद यही है कि यह विकासोन्मुख हों। नौकरियों के सृजन और रोजगार के लिए अर्थव्यवस्था में भारी निवेश की जरूरत है। निवेश का चक्र तो वास्तव में महामारी से पहले ही मंदा हो गया था, लेकिन अब उसमें कुछ अच्छे संकेत दिख रहे हैं, क्योंकि पिछले दो साल से दबी हुई मांग और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने तथा कंपनियों को आकर्षि‍त करने के सरकारी प्रयास से इसमें मदद मिली है। इसकी वजह से बहुत सी कंपनियां अपनी रणनीति में बदलाव कर चीन+1  मॉडल पर काम कर रही हैं।

आगे हम मैन्युफैक्चरिंग आधार को बढ़ाने, जो कि बड़े पैमाने पर नौकरी देने वाला सेक्टर है, की कोशि‍श के तहत पूंजीगत खर्च के लिए और प्रेरणा एवं प्रोत्साहन देख सकते हैं। आदर्श रूप से देखें तो निर्माण, किफायती मकान, रियल एस्टेट (कॉमर्शि‍यल सहित), पर्यटन, बुनियादी ढांचा (खासकर सड़कें, रेलवे) को वित्तीय प्रोत्साहन मिलना चाहिए, यह देखते हुए कि ये ऐसे सेक्टर हैं, जिनमें सबसे ज्यादा मल्टीप्लायर इफेक्ट होता है।

जिन अन्य सेक्टर्स पर ध्यान देना चाहिए वे हैं- एमएसएमई/ एसएमई। ऐसा अनुमान है कि भारत में करीब 6.5 लाख छोटे उद्यम हैं, जो कृषि के बाद सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाला सेक्टर है। ऐसी प्रमुख MSME/SME, जो बड़ी कंपनियों को सप्लाई करने वाले चेन में हैं, उनमें फिर से ग्रोथ को रफ्तार देने में मदद के लिए नीतियां बनानी काफी महत्वपूर्ण हैं।

अब हम एक नए चक्र की तरफ बढ़ रहे हैं, तो केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय को 4 लाख करोड़ से बढ़ाकर 5.5 लाख करोड़ रुपये तक करना होगा, ताकि जरूरी शुरुआती गति बन सके। राज्यों को भी आवंटन करना होगा, क्योंकि बुनियादी ढांचे पर ज्यादातर खर्च राज्यों के स्तर पर होता है।

चुनौतीपूर्ण सकल राजकोषीय घाटे के लक्ष्य की चुनौती को देखते हुए कुल खर्च में काफी संतुलन बनाकर रखना होगा। राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2022 में 5 फीसद को पार हो सकता है। (वित्त वर्ष 2021 में यह 7.5 फीसदी हो सकता है, जबकि बजट लक्ष्य 3.5 फीसदी था) राज्यों और केंद्र का मिलाकर राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2022 में 11 से 12 फीसदी तक पहुंच सकता है।

(लेखक PGIM इंडिया म्युचुअल फंड के CIO (फिक्स्ड इनकम) हैं। )


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.