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देश के टेलिकॉम सेक्टर को बजट 2018 से हैं ये 4 प्रमुख उम्मीदें

जानिए क्या हैं देश के टेलिकॉम सेक्टर की जेटली के बजट 2018 से मांगे

By Surbhi JainEdited By: Published: Sat, 27 Jan 2018 11:35 AM (IST)Updated: Sat, 27 Jan 2018 12:00 PM (IST)
देश के टेलिकॉम सेक्टर को बजट 2018 से हैं ये 4 प्रमुख उम्मीदें
देश के टेलिकॉम सेक्टर को बजट 2018 से हैं ये 4 प्रमुख उम्मीदें

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी 2018 को देश का आगामी आम बजट पेश करेंगे। यह केंद्र सरकार का चौथा पूर्णकालिक बजट होगा। बीते साल हुए प्रमुख आर्थिक बदलावों ने देश के कई सेक्टर्स पर असर डाला, लिहाजा इस बार के आम बजट से इन्हीं सेक्टर्स को कुछ राहत की उम्मीद है। इनमें सबसे प्रमुख देश का टेलिकॉम सेक्टर है। गौरतलब है कि हलवा रस्म की अदायगी के साथ ही बजट छपाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

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टेलिकॉम वॉचडॉग के सेक्रेटरी अनिल कुमार ने बताया कि जेटली के बजट से सेल्युलर ऑपरेटर्स की कुछ प्रमुख मांगे हैं जो कि निम्नलिखित हैं...

टॉवर लगाने पर न वसूला जाए कर: पब्लिक लाइन पर अगर टॉवर लगाया जाता है या ऑप्टिकल फाइबर बिछाई जाती है तो सरकार उस पर सर्विस टैक्स यानी जीएसटी लगाना चाहती है। जैसा कि सरकार पब्लिक लाइन पर ऑप्टिकल फाइबर बिछाए जाने या फिर टॉवर लगाए जाने पर कार्पोरेशन पर कोई टैक्स नहीं लगा सकती है, ऐसे में अगर प्राइवेट प्लेयर्स इस लाइन पर टावर लगाते हैं तो सरकार कार्पोरेशन (लोकल अथॉरिटी) पर दबाव डाल रही है कि वो इस टैक्स को प्राइवेट प्लेयर से वसूल करें। तो सेल्युलर ऑपरेटर्स की यह मांग है कि इस कर को हटाया जाना चाहिए।

सिम कार्ड पर मिलने वाला डिस्काउंट कमीशन न माना जाए: आपरेटर्स सिम कार्ड डिस्ट्रीब्यूशन पर डिस्ट्रीब्यूटर को कुछ डिस्काउंट देते हैं। प्रीपेड सिम कार्ड (जैसे की टॉपअप वगैहरा)। प्रीपेड सिम को डिस्ट्रीब्यूटर्स की ओर से ही डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है। आपरेटर्स की मांग है कि उनको मिलने वाले डिस्काउंट को कमीशन मानकर उस पर जो टैक्स लगाया जाता है वो नहीं लिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि उनके डिस्काउंट को डिस्काउंट ही माना जाना चाहिए और उस पर कर नहीं लगना चाहिए। डिस्काउंट के ऊपर टैक्स नहीं लगता है लेकिन आयकर विभाग वाले इसे कमीशन मान इस पर टैक्स लगाते हैं।

4G उपकरणों से हटाई जाए कस्टम ड्यूटी: भारत में 2G और 3G उपकरण ही बनते हैं 4G नहीं बनता है। मेक इन इंडिया के चक्कर में सरकार ने 4G से लैस आयातित इक्विपमेंट पर सरकार ने कस्टम ड्यूटी लगाना शुरू कर दी थी। तो सेक्टर की मांग है कि जब भारत में LTE से लैस 4G इक्विपमेंट बनते ही नहीं हैं तो ब्राडबैंड वगैहरा पर टैक्स क्यों लगाया जा रहा है। सेक्टर का कहना है कि जब तक देश 4G इक्विमेंट बनाने में सक्षम नहीं हो जाता है तो इन पर जीरो कस्टम ड्यूटी होनी चाहिए।

जीएसटी की दरों में मिले राहत: जीएसटी इस सेक्टर की सबसे बड़ी मुश्किल है। सेक्टर की मांग है कि मौजूदा समय में टेलिकॉम सेक्टर पर जो 18 फीसद की दर है उसे घटाया जाना चाहिए। सेक्टर्स के मुताबिक इसे 12 फीसद किया जाना चाहिए ताकि सेक्टर को राहत मिले।

क्या कहना है डेटाविंड का:

डेटाविंड के प्रेसिडेंट और सीईओ सुनीत सिंह टुली ने बताया, “हमें उम्मीद है कि साल 2019 एक ऐसा वर्ष होगा जब सरकार को नोटबंदी और जीएसटी कार्यान्वयन के लाभों का अनुभव होगा। आगामी आम बजट में हम सरकार से जीएसटी के संदर्भ में कुछ राहत की उम्मीद कर रहे हैं।”

क्या कहना है सीओएआई (COAI) का: सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने टेलिकॉम सेक्टर पर लागू जीएसटी की दरों में कमी की मांग की है। साथ ही उसका कहना है कि उस डिस्काउंट पर टैक्स विदहोल्डिंग लिमिट को घटाकर 1 फीसद कर दिया जाए, जिसे कंपनियां डिस्ट्रीब्यूटर्स को प्रीपेड सिम की बिक्री पर उपलब्ध करवाती हैं।

सीओएआई के डायरेक्टर जनरल राजन एस मैथ्यूज ने बताया, “यह समझा जाना काफी महत्वपूर्ण है कि डिस्ट्रीब्यूटर्स को दिया जाने वाला डिस्काउंट कमीशन न माना जाए, क्योंकि डिस्ट्रीब्यूटर टेलिकॉम सेक्टर के एजेंट के रुप में काम नहीं करते हैं।”


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