Budget 2019: आम आदमी को वित्त मंत्री से है आस, टैक्स फ्री हो सकती है 3 लाख रुपये तक की आय
विशेषज्ञों का सुझाव है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को आयकर में छूट की सीमा बढ़ाकर कम से कम तीन लाख रुपये तथा कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर से छूट देनी चाहिए
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का पूर्ण बजट आगामी 5 जुलाई को पेश करेगी। वित्त मंत्रालय की ओर से इसे लेकर तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट को लेकर लगातार बैठकें कर रही हैं। ऐसी खबरें आ रही हैं कि इस बार इनकम टैक्स में फिर से कुछ रियायतें मिल सकती हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को आयकर में छूट की सीमा बढ़ाकर कम से कम तीन लाख रुपये तथा कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर से छूट देनी चाहिए। यह उपभोग तथा आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है।
पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री सीतारमण 5 जुलाई को लोकसभा में अपना पहला बजट पेश करने वाली हैं। बजट 2019-20 को लेकर वित्त मंत्री अन्य हितधारकों के अलावा व्यापार और उद्योग निकायों के साथ गहन विचार-विमर्श करेगी। सीआईआई और फिक्की ने बजट के लिए पहले ही अपने सुझावों पर डिटेल प्रेजेंटेशन दे दिया है।
पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर एंड लीडर (निजी कर) कुलदीप कुमार ने पीटीआइ से बातचीत में कहा कि भारत वैश्विक आर्थिक परिस्थिति से अप्रभावित नहीं रह सकता है और घरेलू स्तर पर भी चुनौतियां हैं। ऐसे में आम आदमी को बजट से काफी उम्मीदें हैं।
फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में सरकार ने टैक्स स्लैब में बिना किसी बदलाव के 5 लाख रुपये तक की आय वालों को पूरी कर छूट बढ़ा दी थी। इस कदम से निम्न आय वर्ग को फायदा हुआ जिससे 5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई कर नहीं देना पड़ता है।
कुलदीप कुमार ने कहा कि सरकार आधारभूत छूट की सीमा अभी के ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर सकती है। इसके अलावा पांच फीसद कर श्रेणी की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये से साढ़े सात लाख रुपये कर सकती है।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि करदाता को अपना घर खरीदने के लिए और हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए हाउसिंग लोन के ब्याज में कटौती को वर्तमान के 2 लाख रुपये से 3 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
कानून कंपनी लक्ष्मीकुमारन एंड श्रीधरन में पार्टनर एस वासुदेवन ने पीटीआइ से बातचीत में कहा कि आयकर अधिनियम में कुछ प्रावधानों पर पुन: गौर किया जाना चाहिये। उदाहरण के लिये कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर में छूट दी जानी चाहिये।
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