Budget 2018: नौकरीपेशा लोगों की अरुण जेटली से क्या हैं उम्मीदें, जानिए
देश का वेतनभोगी वर्ग चाहता है कि कर छूट का स्तर बढ़ना चाहिए, ताकि उनके पास खर्च करने को ज्यादा आय बचे
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। 1 फरवरी 2018 को पेश किए जाने वाले आम बजट 2018 से देश के हर वर्ग को कुछ न कुछ उम्मीदें हैं, इनमें से सबसे प्रमुख देश का वेतनभोगी वर्ग है, यानी देश का आम करदाता है। अगर कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस बार के आम बजट से देश के वेतनभोगी वर्ग को एक राहत की खबर मिल सकती है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नरेंद्र मोदी सरकार की निगाहें अब एक और बड़े कर सुधार पर है और यह सुधार देश के वेतनभोगी कर्मचारियों को उत्साहित करेगा। माना जा रहा है कि सरकार मौजूदा समय में सैलरी स्ट्रक्चर में एक बड़े सुधार पर काम कर रही है। पीएमओ और वित्त मंत्रालय के साथ वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मानक कटौती की मात्रा पर चर्चा कर रहा हैं। साथ ही सरकार एक उदार मानक कर कटौती के राजस्व निहितार्थों का भी अध्ययन कर रही है। दरअसल सरकार चाहती है कि कर्मचारियों के हाथ में ज्यादा पैसा आए और वो भारी-भरकम कागजी कार्यवाही से भी मुक्त रह सकें।
कर छूट का स्तर बढ़ाया जाना प्रमुख मांग: वित्तीय परामर्श सेवा कंपनी ईवाय के बजटपूर्व सर्वेक्षण में 69 फीसद लोगों की राय है कि कर छूट का स्तर बढ़ना चाहिए, ताकि लोगों के पास खर्च करने को ज्यादा आय बचे। सर्वेक्षण में करीब 59 फीसद प्रतिभागियों ने कहा कि बजट में कई ऐसी कटौतियां हैं, जो अब अप्रासंगिक हो चुकी हैं। इनकी जगह पर एक मानक कटौती का खाका बनना चाहिए, जिससे कर्मचारियों पर दबाव कम किया जा सके। इस सर्वेक्षण में विभिन्न कंपनियों के 150 मुख्य वित्त अधिकारियों, कर प्रमुखों और वरिष्ठ वित्त पेशेवरों ने भाग लिया। करीब 48 फीसद प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें बजट में कॉरपोरेट कर को घटाकर 25 फीसद किए जाने की उम्मीद है। हालांकि उपकर जारी रह सकते हैं। 65 फीसद लोगों का अनुमान है कि लाभांश पर कर व्यवस्था में बदलाव नहीं होगा।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट: फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी का मानना है इस बार के आम बजट को लेकर अटकलें ये हैं कि इनकम टैक्स में छूट की सीमा को बढ़ाया जा सकता है। इसे 2,50,000 से बढ़ाकर 3 लाख किया जा सकता है। हालांकि इस बार मिडिल क्लास को कोई ज्यादा बड़ी सौगात मिलने की संभावना कम है क्योंकि माना जा रहा है कि इस बार का आम बजट लोकलुभावन नहीं होगा। जहां तक बात सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव की है तो जैसा कि पिछली बार सरकार ने लोअर टैक्स एग्जेम्पनश को जो 10 से 5 फीसद किया था उसकी लिमिट बढ़ सकती है। यह 5 लाख तक की इनकम के लिए किया था उसे बढ़ाकर 8 लाख किया जा सकता है। पिछली बार जो 10 फीसद टैक्स स्लैब में आते थे उनको 5 फीसद टैक्स स्लैब में लाया गया था।