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Budget 2021: चर्म निर्यात उद्यमियों को प्रोत्साहन राशि की है दरकार, बजट से लगाए हैं उम्मीद

Budget 2021 चर्म उद्योग में अपना सिक्का चलाने वाला कानपुर अपने पुराने मुकाम को पाने के लिए बेकरार है। इटली जर्मनी अमेरिका ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस में यहां के उत्पाद हाथों हाथ बिकते हैं। शहर के उद्यमियों को अब चर्म निर्यात में प्रोत्साहन राशि की दरकार है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 01:01 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 08:34 AM (IST)
Budget 2021: चर्म निर्यात उद्यमियों को प्रोत्साहन राशि की है दरकार, बजट से लगाए हैं उम्मीद
Leather export entrepreneurs P C : Pixabay

कानपुर, जागरण संवाददाताचर्म उद्योग में अपना सिक्का चलाने वाला कानपुर अपने पुराने मुकाम को पाने के लिए बेकरार है। इटली, जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस में यहां के उत्पाद हाथों हाथ बिकते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आठ हजार करोड़ सालाना का कारोबार करने वाले शहर के उद्यमियों को अब चर्म निर्यात में प्रोत्साहन राशि की दरकार है।

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उन्हें पहले चर्म उत्पाद निर्यात करने पर मर्चेंडाइज एक्सपो‌र्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआइएस) के तहत प्रोत्साहन राशि मिलती थी। पहले यह पांच प्रतिशत थी, फिर तीन प्रतिशत हो गई। डब्ल्यूटीओ के प्रभाव में 31 दिसंबर, 2020 से यह राशि भी खत्म कर दी गई। कारोबारियों के मुताबिक देश का चर्म उद्योग पांच लाख के निवेश पर कम से कम चार श्रमिकों को नौकरियां देता है। चर्म कारोबार विशेषज्ञ जफर फिरोज ने बताया कि प्रोत्साहन राशि समाप्त होने के बाद उद्यमियों का लाभ कम हो गया है। लॉकडाउन के चलते वैसे ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में चर्म उत्पादों का निर्यात मुश्किल हो रहा है।

सैडलरी (घोड़े की जीन) उद्यमी असद इराकी के मुताबिक दुनियाभर में कानपुर के सैडलरी उत्पाद की सबसे अधिक मांग है। ऑस्ट्रेलिया, यूएस, जर्मनी, नार्वे, फिनलैंड व स्वीडन इसके बड़े आयातक हैं। ऐसे में सरकार को निर्यात पर प्रोत्साहन राशि देनी चाहिए।

वहीं, शहर के लोहा कारोबारी भी बढ़ते दाम के चलते मुश्किल में हैं। सरिया का भाव पिछले वर्ष अक्टूबर में 34 रुपय प्रति किलोग्राम था जो अब 60 रुपये पर है। लोहा कारोबारियों का कहना है कि लोहे के निर्यात पर रोक लगाई जाए। उत्तर प्रदेश में बीते दिसंबर में सबसे ज्यादा 88.2 प्रतिशत रिटर्न कानपुर के कारोबारियों ने फाइल किए थे। कोरोना काल में भी यहां 5,547 नए व्यापारियों ने पंजीयन कराए।

लोहा कारोबारी उमंग उग्रवाल कहते हैं कि कानपुर में रेल कोच, स्पि्रंग, ट्रांसफॉर्मर बनाने समेत लोहे के कई बड़े कारखानों के साथ रोलिंग मिल्स हैं। लेकिन बिजली की दरें इतनी ज्यादा बढ़ चुकी हैं कि प्रदेश में लोहे से जुड़ा कारोबार करना बहुत मुश्किल हो गया है। कारोबारी संजय जैन की मांग है कि लोहे को काली सूची से हटा सामान्य सूची में लाया जाए।

एक नजर में चर्म कारोबार

- 8,000 करोड़ का है सालाना कारोबार, 800 निर्यातक हैं चर्म उत्पाद बनाने वाले।

- 65 फीसद चर्म उत्पाद फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, ब्रिटेन, इटली में निर्यात किए जाते हैं।

- इटली, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस व अमेरिका में कानपुर के चर्म उत्पादों की है जबरदस्त मांग।

- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 8,000 करोड़ का कारोबार, विदेशी मुद्रा आने का भी बड़ा स्रोत


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