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Budget 2020: सरकार के सामने इस बार ये हैं चुनौतियां, इकोनॉमी को पटरी पर लाना है सबसे बड़ी प्राथमिकता

Budget 2020 एक्सपर्ट्स की मानें तो सरकार के पास इकोनॉमी को पटरी पर लाने का यह बजट आखिरी मौका जैसा है।

By Manish MishraEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 05:45 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 02:43 PM (IST)
Budget 2020: सरकार के सामने इस बार ये हैं चुनौतियां, इकोनॉमी को पटरी पर लाना है सबसे बड़ी प्राथमिकता
Budget 2020: सरकार के सामने इस बार ये हैं चुनौतियां, इकोनॉमी को पटरी पर लाना है सबसे बड़ी प्राथमिकता

नई दिल्‍ली, उमानाथ सिंह। घटती जीडीपी ग्रोथ रेट, बढ़ती बेरोजगारी, ऊपर जा रही महंगाई, खराब इन्वेस्टमेंट सेंटिमेंट और गिरते कंज्यूमर कॉन्फिडेंस को देखते हुए नरेंद्र मोदी सरकार के लिए 2020 का बजट बेहद चुनौतिपूर्ण हो गया है। इकोनॉमिक ग्रोथ के दोनों इंजन- खपत और निवेश सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं और बड़ी संख्या में जॉब देने वाले ऑटो, रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, कृषि और एक्सपोर्ट जैसे सेक्टर लगातार दबाव में हैं। ऐसे में यह चुनौती और बढ़ जा रही है। 

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एक्सपर्ट्स की मानें तो सरकार के पास इकोनॉमी को पटरी पर लाने का यह बजट आखिरी मौका जैसा है। अभी तक सरकार द्वारा किए गए उपायों के मनमाफिक नतीजे नहीं आए हैं। ऐसे में हम यहां सरकार के समक्ष खड़ी आर्थिक चुनौतियों को खंगाल रहे हैं-

पिछली सात तिमाहियों से जीडीपी ग्रोथ रेट में लगातार कमी आ रही है। वर्तमान वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट में पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में महज 4.5 फीसद का इजाफा हुआ। लगभग एक साल पहले तक जीडीपी ग्रोथ के मामले में भारत बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष पर था। लेकिन अब इस मामले में हम कई मुल्कों से पीछे हो गए हैं।

6 फीसदी ग्रोथ के साथ चीन हमसे आगे है। फिलिपींस, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देश भी हमसे आगे हो गए हैं। वियतनाम की ग्रोथ तो 7.3 फीसद पर पहुंच गई। ऐसे में इकोनॉमी की ग्रोथ तेज करना इस समय सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से निपटने का खाका एक फरवरी को पेश होने वजट में दिख सकता है।

इससे पहले सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में बड़ी कमी करने के साथ ही इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए कई उपाय किए। आरबीआई ने ब्याज दरों में कई दफा कटौती की। लेकिन इन उपायों का भी ग्रोथ पर कोई खास असर नहीं दिखा। सरकार को उम्मीद थी कि कॉरपोरेट टैक्स में कमी से निवेशकों का सेंटिमेंट बेहतर होगा, जिससे बिजनेस एक्टिविटी बढ़ेगी। 

इसी तरह ब्याज दर में कमी से बाजार में लिक्विडिटी की उम्मीद थी, लेकिन क्रेडिट ग्रोथ पर इसका खास असर नहीं हुआ। अत्यधिक दबाव के कारण गैर-बैंकिंग फाइनेंस सेक्टर जो 50 फीसदी से अधिक छोटे लोन देते थे, वह कुछ अधिक दबाव में है। कंज्यूमर कॉन्फिडेंस 2014 के बाद के सबसे निचले स्तर पर है, जो बिजनेस एक्टविटी और ग्रोथ के लिए बेहद जरूरी है। 6.1 फीसद के साथ बेरोजगारी दर पिछले 45 साल के उच्चतम स्तर पर है।

पिछले कुछ समय के दौरान ग्रामीण डिमांड में शहरों की तुलना में अधिक कमी आई है। इसे इस वित्त वर्ष की पहली छमाही की कंजम्प्शन ग्रोथ में आई तेज गिरावट से समझा जा सकता है। ग्रोथ के प्रमुख इंजन- खपत और निवेश को बढ़ावा देने के लिए माना जा रहा है कि इस बजट में इनकम टैक्स स्लैब्स से लेकर छूट की सीमा में भी इजाफा किया जा सकता है। वर्तमान में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपए है, हालांकि पांच लाख तक आय पर पूरी तरह से छूट ली जा सकती है। इसीलिए एक्सपर्ट्स का मानना है कि छूट की सीमा बढ़ाने से उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक पैसे जाएंगे और इससे खपत को बढ़ावा मिलेगा। 

हालांकि, कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से टैक्स कलेक्शन में लगभग 1.45 लाख करोड़ की संभावित कमी और जीएसटी कलेक्शन में गिरावट के बीच इनकम टैक्स में बड़ी छूट की उम्मीदों पर खरा उतरना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। 2020 के बजट को लेकर सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती बिजनेस और इंडस्ट्री से लेकर आम लोगों के कॉन्फिडेंस को बढ़ाना है।


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