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Budget 2019-20: होम लोन के रीपेमेंट के लिए होनी चाहिए इनकम टैक्‍स में अलग डिडक्शन की व्‍यवस्‍था

हाउसिंग लोन के प्रिंसिपल री-पेमेंट के बेनिफिट को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए साथ ही रिश्तेदारों या अन्य किसी से उधार लिए गए पैसे को भी होम लोन बेनिफिट के तहत कवर करना चाहिए

By Manish MishraEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 06:15 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2019 08:22 AM (IST)
Budget 2019-20: होम लोन के रीपेमेंट के लिए होनी चाहिए इनकम टैक्‍स में अलग डिडक्शन की व्‍यवस्‍था
Budget 2019-20: होम लोन के रीपेमेंट के लिए होनी चाहिए इनकम टैक्‍स में अलग डिडक्शन की व्‍यवस्‍था

नई दिल्ली (बलवंत जैन)। घर किसी भी इंसान के लिए रोटी और कपड़े के अलावा एक बुनियादी जरूरत है। घरों की कीमतें बढ़ने के वजह से एक सामान्य व्यक्ति के लिए होम लोन, दोस्तों या रिश्तेदारों से उधार लिए बिना घर खरीदना लगभग नामुमकिन हो गया है। इस लेख में मैं यह बताना चाहता हूं कि सरकार को क्यों धारा 80 सी के तहत वर्तमान टैक्स बेनिफिट को हटाकर और होम लोन प्रिंसिपल री-पेमेंट के लिए अलग से कटौती का उपाए निकालना चाहिए। 

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होम लोन चुकाने का वर्तमान में प्रावधान 

आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत एक व्यक्ति और एक हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) को 1.5 लाख रुपये तक की कटौती की अनुमति मिलती है। इसमें जरूरी सामानों के साथ घर की खरीद या घर बनाने के लिए लिया गया होम लोन का अमाउंट शामिल है। 

होम लोन के री-पेमेंट का लाभ बैंक, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों या अन्य संस्थानों से लोन लेने पर ही मिलता है। इसी के साथ यह बेनिफिट उन कर्मचारियों को भी मिल सकता है, जिन्होंने अपने नियोक्ता से होम लोन लिया है। नियोक्ता एक पब्लिक सेक्टर कंपनी, यूनिवर्सिटी, या स्थानीय अथॉरिटी या कोऑपरेटिव सोसाइटी या सेंट्रल की तरफ से पास कानून की तरफ से स्थापित कोई अथॉरिटी या कॉर्पोरेशन या राज्य विधानसभाओं या एक पब्लिक कंपनी होना चाहिए। यह बेनिफिट निर्माण पूरा हो जाने के बाद चुकाए गए प्रिंसिपल अमाउंट के लिए उपलब्ध है और इससे पहले इसके लिए क्लेम नहीं कर सकते हैं। 

डिडक्शन की लिमिट एक साथ ली गई विभिन्न स्कीम जैसे कि होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट की री-पेमेंट, लाइफ इंश्योरेंस, बच्चों की ट्यूशन फीस, प्रोविडेंट फंड, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड, ईएलएसएस इंवेस्टमेंट आदि में योगदान पर एक साथ मिलती है। इन सभी स्कीम की वजह से होम लोन रीपेमेंट का अमाउंट बिल्कुल बाहर हो जाता है, क्योंकि डिडक्शन की बेसिक लिमिट सिर्फ 1.5 लाख रुपये है। जबकि लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, स्कूल फीस, प्रोविडेंट फंड/ एनपीएस के लिए योगदान जैसी चीजों से ही लिमिट पूरी हो जाती है। इन सभी जरूरी चीजों की वजह से होम लोन रीपेमेंट का बेनिफिट खत्म हो जाता है और टैक्सपेयर खर्च/निवेश की गई राशि के लिए वेलिड क्लेम से चूक जाता है। 

छूट का आधार 

शुरुआत में डिडक्शन की लिमिट को 2003 में 1 लाख रुपये तय किया गया था और जिसे 2014 में बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दिया गया था। 16 साल की अवधि में 6 फीसद की औसत से मुद्रास्फीति को लागू करने पर कटौती की सीमा आज 2.54 लाख के आसपास होनी चाहिए। 

एक तरफ डिडक्शन की लिमिट रुकी रही, लेकिन इस लिस्ट में सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम में योगदान, नेशनल पेंशन सिस्टम, टैक्स सेविंग फिक्स डिपॉजिट, सुकन्या समृद्धि स्कीम आदि जैसी नई स्कीम को शामिल किया गया। घर की कीमत बढ़ने के कारण घर खरीदने के लिए आवश्यक होम लोन अमाउंट इस दौरान बहुत बढ़ गया है। होम लोन पर प्रिंसिपल री-पेमेंट अमाउंट धारा 80सीसीई के तहत निर्धारित 1.5 लाख रुपये के डिडक्शन लिमिट से अधिक है। धारा 80सी, 80सीसीसी और 80सीसीडी (1) के तहत आने वाली अधिक वस्तुएं और स्कीम और बड़े होम लोन की आवश्यकता को देखते हुए मैं फाइनेंस मिनिस्टर से आग्रह करता हूं कि वे आगामी बजट में होम लोन के प्रिंसिपल री-पेमेंट के लिए एक अलग डिडक्शन शुरू करें। 

सभी टैक्सपेयर खराब क्रेडिट हिस्ट्री के साथ अन्य कारणों से होम लोन का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं, इसलिए मैं फाइनेंस मिनिस्टर से आग्रह करता हूं कि हाउसिंग लोन के प्रिंसिपल री-पेमेंट के बेनिफिट को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए साथ ही दोस्तों और रिश्तेदारों या अन्य किसी से उधार लिए गए पैसे को भी होम लोन बेनिफिट के तहत कवर करना चाहिए। इसी के साथ कई हाउसिंग प्रोजेक्ट के पूरा होने में देरी के चलते प्रिंसिपल अमाउंट की री-पेमेंट की ईएमआई निर्माण पूरा होने से पहले ही शुरू हो जाती है, जिसके लिए वर्तमान में कोई टैक्स बेनिफिट नहीं है। फाइनेंस मिनिस्टर को टैक्सपेयर को इस टैक्स बेनिफिट की अनुमति देने पर विचार करना चाहिए। 

(बलवंत जैन टैक्स और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं।) 

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