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Union Budget 2019: हर बजट में होता है इन शब्दों का जिक्र, इनके बारे में आपको पता होना चाहिए

वर्ष 2019 का अंतरिम बजट 1 फरवरी को पेश किया जाना है, जिसकी छपाई का काम हलवा रस्म की अदायगी के साथ शुरू हो चुका है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 01:01 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 08:45 AM (IST)
Union Budget 2019: हर बजट में होता है इन शब्दों का जिक्र, इनके बारे में आपको पता होना चाहिए
Union Budget 2019: हर बजट में होता है इन शब्दों का जिक्र, इनके बारे में आपको पता होना चाहिए

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। हर वर्ष फरवरी महीने की पहली तारीख को पेश होने वाले बजट के दौरान वित्त मंत्री बजट से जुड़े काफी सारे शब्दों का प्रयोग करते हैं, जो कि आमतौर पर हर किसी को समझ नहीं आते हैं। अगर आप भी बजट की शब्दावली से अपरिचित हैं या आपको उनके बारे में कम जानकारी है तो हमारी बजट सीरीज की यह खबर आपके काम की है। जानिए बजट से जुड़े कुछ अहम शब्दों के बारे में।

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सीमा शुल्क (Custom Duty): कस्टम ड्यूटी (सीमा शुल्क) किसी भी देश से होने वाले निर्यात (एक्सपोर्ट) और आयात (इंपोर्ट) पर लगाया जाना वाला केंद्रीय टैक्स है। सरकार की राजस्व आय में इस कर की बड़ी हिस्सेदारी है। कई बार विदेशी प्रतिस्पर्धा से घरेलू कंपनियों को बचाने के लिए आयातित वस्तुओं पर सीमा शुल्क लगाया जाता है, या उसमें इजाफा किया जाता है।

चालू खाता घाटा (Current Account Defecit): भुगतान संतुलन का मतलब किसी देश का अन्य देश के साथ एक साल के दौरान हुआ लेन-देन है। इसके दो भाग होते हैं, पहला-चालू खाता और दूसरा पूंजी खाता। जब कोई देश अपने निर्यात (वस्तुओं और सेवाओं का) से अधिक आयात (वस्तुओं और सेवाओं) करता है, तो ऐसी स्थिति को चालू खाता घाटा (CAD) कहा जाता है। चालू खाता मुख्य तौर पर देश के विदेशी लेन-देन को दर्शाने वाला खाता है।

मंदी (Recession): किसी भी अर्थव्यवस्था में मंदी का मतलब वैसी स्थिति से है, जब वस्तु और सेवाओं की मांग (Demand) उसकी पूर्ति (Supply) से कम हो जाती है। अर्थव्यवस्था में जब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो लोगों की खरीदने की क्षमता कम हो जाती है और सामानों की बिक्री नहीं होने से उद्योग धंधे बंद होने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी बढ़ जाती है।

उपकर (Cess): उपकर जिसे अंग्रेजी में 'cess' कहते हैं। यह किसी मुख्य टैक्स के ऊपर लगने वाला एक अतिरिक्त कर (tax on tax) होता है। इसे करदाताओं की आमदनी पर न लगाकर केवल उस रकम पर लगाया जाता है, जो उसकी टैक्स देनदारी (Tax liability) बन रही होती है। आसान शब्दों में टैक्स के ऊपर लगने वाले टैक्स को सेस कहते हैं।

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