BUDGET 2018: समृद्ध किसान, सेहतमंद हिंदुस्तान
इस लक्ष्य को पाने का भरोसा ही है जिसके चलते सरकार ने साल 2018-19 के लिए रिकार्ड 24,42,213 करोड़ रुपये का आम बजट पेश किया है।
नितिन प्रधान, नई दिल्ली। शायद इसे ही भरोसा कहते हैं। नोटबंदी और जीएसटी जैसे सुधारों की कड़वी डोज से अर्थव्यवस्था की सेहत सुधरने का भरोसा। सामाजिक क्षेत्र में ऐतिहासिक पहल के लिए फंड जुटाने का भरोसा। राजनीतिक जंग के लिए तैयार होने का भरोसा। यही कारण है कि सीमित संसाधनों के बीच अर्थव्यवस्था को विकास के रास्ते पर बनाये रखने के लिए वित्त मंत्री ने रियायतों के पिटारे को खोलने की कोशिश तो नहीं की। लेकिन पीछे रह गए किसानों और इलाज से वंचित गरीबों को बजट के केंद्र में रखा है। किसानों की समृद्धि और सेहतमंद हिंदुस्तान के अपने सपने को हकीकत में बदलने की दिशा में सरकार बढ़ी है। इस लक्ष्य को पाने का भरोसा ही है जिसके चलते सरकार ने साल 2018-19 के लिए रिकार्ड 24,42,213 करोड़ रुपये का आम बजट पेश किया है।
नए भारत के निर्माण की दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए सरकार ने दुनिया की सबसे बड़ी 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना' शुरू की है। इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ देश के दस करोड़ परिवार यानी करीब पचास करोड़ लोग उठा पाएंगे। इस योजना की घोषणा जितनी अद्भुत है उससे ज्यादा अद्भुत इसका सफल क्रियान्वयन होगा। यह एक आम भारतीय की उम्र में इजाफा करने के साथ ही निजी हेल्थ सेक्टर की मनमानी को भी रोकेगा। इसके अतिरिक्त शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र के विकास से जुड़ी तमाम स्कीमों के लिए वित्त मंत्री ने 1.38 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया है। यही वजह है कि सरकार ने इस बजट को ईज आफ लिविंग की दिशा में एक मजबूत कदम बताया है।
संभवत: यही कारण है कि मध्यम वर्ग के लिए आयकर में स्टैंडर्ड डिडक्शन और वरिष्ठ नागरिकों को टैक्स राहत के अतिरिक्त कोई बड़ी रियायत की घोषणा नहीं की। लेकिन रोजगार देने वाले एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए 250 करोड़ रुपये तक की कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर को 25 फीसद पर ला दिया है।
बीते कुछ वर्षो से अर्थव्यवस्था की धीमी रही रफ्तार ने आगे बढ़ने की कोशिशों को भी कहीं न कहीं प्रभावित किया। लेकिन चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही की शुरुआत से ही अर्थव्यवस्था में तब्दीली के संकेत मिलने लगे हैं। जीएसटी से उड़ी अफरातफरी की धूल भी अब बैठ रही है। यही वजह है कि वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक विकास की गति अब तेज हो रही है और भरोसा जताया कि आने वाले समय में देश आठ फीसद से अधिक की विकास दर की ओर अग्रसर होगा। इसी उम्मीद में सरकार को वित्त वर्ष 2018-19 में चालू कीमतों पर विकास दर 11.5 प्रतिशत रहने का भरोसा है। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे भारत जल्दी ही दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
इन लक्ष्यों को पाने की दिशा में वित्त मंत्री ने बड़ी योजनाओं के लिए खर्च जुटाने को राजस्व जुटाने के नए स्त्रोत भी तलाशे हैं। इनमें लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स से स्वास्थ्य व शिक्षा पर लगने वाले सेस में एक फीसद की वृद्धि करना तक शामिल है। अब आयकर पर लगने वाले तीन फीसद सेस की बजाये चार फीसद सेस का भुगतान करना होगा।
दूसरी तरफ देश की आबादी का पेट भरने वाले किसानों की आमदनी दोगुनी करने के कई उपायों की घोषणा वित्त मंत्री ने अपने बजट में की है। इसके अलावा साल 2022 तक सबको आवास देने और स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश में शौचालयों के निर्माण में भी कदम आगे बढ़ाए हैं। वित्त मंत्री ने ग्रामीण और शहरी ढांचे को मजबूत बनाने को भी अपने बजट में दिशा दी है। गरीबों, किसानों, महिलाओं, पिछड़ों के उत्थान पर होने वाले खर्च की आवश्यकता के आगे राजकोषीय अनुशासन पर बने रहने की जिद नहीं की और राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को तीन फीसद के स्तर पर लाने के लक्ष्य को आगे खिसका दिया। सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए भी 3.3 फीसद राजकोषीय घाटे का लक्ष्य तय किया है।
बड़ी घरेलू कंपनियों को कॉरपोरेट टैक्स में तो वित्त मंत्री ने इस वर्ष कोई रियायत नहीं दी लेकिन सस्ते आयात से बचाने के प्रयास अवश्य किये हैं। घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री ने कई उत्पादों पर सीमा शुल्क की दर को बढ़ाने का ऐलान किया है। सरकारी कंपनियों के एकीकरण का जो सिलसिला वित्त मंत्री ने बीते साल के बजट में शुरु किया था उसे इस बार साधारण बीमा क्षेत्र की तीन सरकारी कंपनियों के विलय के साथ आगे बढ़ाया है।