टैक्स राहतों पर स्टार्ट अप्स की नजर, टैक्स कंप्लायंस की व्यवस्था से कैश फ्लो होगा आसान
छोटे शहरों के लिए समाधान तलाशने के काम में स्टार्ट अप्स की अहम भूमिका रही है। उड़ान भी ऐसे शहरों के रिटेलरों और विभिन्न विक्रेताओं को आपस में जुड़ने का मंच उपलब्ध कराता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नए इनोवेशन और टेक्नोलॉजी की मदद से सॉल्यूशन प्रदान कर रहे स्टार्ट अप्स इस बजट को अपने क्षेत्र की ग्रोथ के प्रोत्साहक के तौर पर देख रहे हैं। सरकार की तरफ से भी स्टार्ट अप्स को मिल रहे फोकस से उम्मीद है कि इस बार बजट में इस क्षेत्र को आयकर के मामले में कुछ राहत मिल जाए। स्टार्ट अप कंपनियों का मानना है कि इस क्षेत्र के लिए टैक्स कंप्लायंस की व्यवस्था को सरल बनाने से उनके लिए कैश फ्लो आसान हो जाएगा।
स्टार्ट अप के लिए लिक्विडिटी की समस्या दूर हो जाएगा और वे इस राशि का इस्तेमाल अपने विस्तार के लिए कर पाएंगे। छोटे किराना और खुदरा दुकानदारों के बीच काम कर रहे ऐसे ही एक स्टार्ट अप और बी2बी क्षेत्र के ई-कामर्स प्लेटफार्म उड़ान के को-फाउंडर सुजीत कुमार कहते हैं, 'सरकार को औपचारिक और अनौपचारिक रोजगार के सृजन पर फोकस करना चाहिए। खासतौर पर एमएसएमई क्षेत्र में। इतना ही नहीं सरकार को उन स्टार्ट अप्स के लिए भी प्रोत्साहन के कदम उठाने चाहिए जो टियर 2 और टियर 3 शहरों की दिक्कतों का समाधान देने के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।'
छोटे शहरों के लिए समाधान तलाशने के काम में स्टार्ट अप्स की अहम भूमिका रही है। उड़ान भी ऐसे शहरों के रिटेलरों और विभिन्न विक्रेताओं को आपस में जुड़ने का मंच उपलब्ध कराता है। देश के 900 शहरों के करीब तीस लाख रिटेलर इस मंच के जरिए देश भर के 20000 विक्रेताओं के साथ जुड़े हुए हैं। इनमें छोटे निर्माता, किसान, मिलें, ब्रांड, दुकानदार, रेस्तरां शामिल हैं। कुमार मानते हैं कि अगर बजट में टैक्स प्रावधानों को और सरल बनाया जा सके तो स्टार्ट अप्स की रफ्तार और तेज की जा सकेगी।