Budget 2020: एयरलाइनों में 100 फीसद FDI की अनुमति संभव, नए नियामक के गठन का भी हो सकता है ऐलान
माना जाता है कि नया नियामक वैमानिक विशेषज्ञ के नेतृत्व में इस खामी को दूर करेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विमानन क्षेत्र की सुस्ती दूर करने के लिए सरकार आगामी बजट में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में और ढील दे सकती है। यहां तक कि एयरलाइनों में सौ फीसद तक एफडीआइ की अनुमति दी जा सकती है। इसके अलावा संरक्षा नियामक डीजीसीए की जगह सिविल एविएशन अथारिटी नाम से नए नियामक का ऐलान भी संभव है। बजट 2020-21 पहली फरवरी को संसद में पेश होगा। इसमें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में नए सुधारों की बुनियाद रख सकती हैं। पिछले डेढ़ वर्ष के दौरान जेट एयरवेज की बंदी के साथ क्षेत्र की उड़ान थोड़ी सुस्त हुई है। परिणामस्वरूप सरकार के लाख चाहने के बावजूद एयर इंडिया के लिए माकूल खरीदार नहीं मिल रहा है।
माना जाता है कि एफडीआइ की बंदिशों के कारण कोई विदेशी एयरलाइन एयर इंडिया को खरीदने में रुचि नहीं दिखा रही है। ऐसे में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में और ढील देना सरकार की मजबूरी बन गई है। पिछले बजट में सीतारमण ने ये कहकर इस दिशा में बढ़ने के संकेत दिए थे कि सरकार घरेलू एयरलाइनों में एफडीआइ की सीमा को 49 फीसद से अधिक करने पर विचार कर रही है। अभी विमानन क्षेत्र में एमआरओ (मेंटीनेंस, रिपेयर, ओवरहॉल) सेवाओं में आटोमैटिक रूट के तहत सौ फीसद तक एफडीआइ की अनुमति है। परंतु एफडीआइ की सीमा 49 फीसद पर टिकी हुइ है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक पर्याप्त मालिकाना हक की गारंटी नहीं मिलती, कोई भी विदेशी एयरलाइने शायद ही एयर इंडिया को नहीं खरीदने के लिए आगे आएगी। एयर इंडिया ही नहीं, जेट एयरवेज की बिक्री भी एफडीआइ सीमा की वजह से ही अटकी हुई है। एविएशन सेक्टर में दूसरा अहम मुद्दा सेफ्टी रेग्यूलेटर डीजीसीए (डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) के ओवरहॉल का है।
जिसकी चर्चा 13-14 साल से हो रही है, लेकिन अभी तक उस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। वर्ष 2006 में संप्रग ने डीजीसीए की जगह डीजीसीए की जगह सिविल एविएशन अथारिटी (सीएए) बनाने का प्रस्ताव किया था। लेकिन बाद में पीछे हट गई। अब मोदी सरकार फिर से उस दिशा में बढ़ रही है। इसके लिए पूर्व स्किल विकास सचिव रोहित नंदन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है।
नंदन एयर इंडिया के सीएमडी रहने के अलावा विमानन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में भी काम कर चुके हैं। उन्हें डीजीसीए की जगह ऐसे संरक्षा नियामक की रूपरेखा तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है जो अमेरिकी फेडरल एविएशन अथारिटी (एफएए) की तरह विमानन संरक्षा के संपूर्ण पहरेदार के तौर पर काम करे और जिसे हर बात के लिए एफएए का मुंह न ताकना पड़े।विमानन क्षेत्र में संरक्षा नियामक को पूरी तरह एक तकनीकी संस्था के तौर पर देखा जाता है। जहां वैमानिक विशेषज्ञता को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए। परंतु भारत में अभी भी डीजीसीए का प्रमुख किसी न किसी आइएएस को बनाया जाता है। माना जाता है कि नया नियामक वैमानिक विशेषज्ञ के नेतृत्व में इस खामी को दूर करेगा।