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Budget 2021: सरकार खत्म करे LTCG पर 10 फीसद टैक्स, इससे बढ़ रही है बचत करने वालों की मुश्किलें

Budget 2021 पहली फरवरी 2018 से एक वर्ष से ज्यादा अवधि के निवेश वाले स्टॉक्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड बेचने का मतलब है कि 31 जनवरी 2018 को बाजार बंद होने के समय से हुए मुनाफे पर टैक्स देना।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 09:38 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 07:50 AM (IST)
Budget 2021: सरकार खत्म करे LTCG पर 10 फीसद टैक्स, इससे बढ़ रही है बचत करने वालों की मुश्किलें
Budget 2021 ( P C : Flickr )

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। भारत में बचत करने वाले पहले से ही डिपॉजिट्स पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हैं। यह निर्भरता उनकी वित्तीय सेहत को लगातार नुकसान पहुंचा रही है। बचत करने वालों को इस बात के लिए हर तरह से प्रोत्साहित करने की जरूरत है कि वे इक्विटी आधारित निवेश को अपनाएं। फिक्स्ड इनकम रिटर्न में बड़ी गिरावट आई है, तो रिटायर होने वाले ज्यादा से ज्यादा लोग बुढ़ापे की गरीबी की ओर जा रहे हैं। ऐसे में बेहतर है कि सरकार एलटीसीजी पर 10 प्रतिशत टैक्स को खत्म करे।

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इक्विटी या इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड से लांग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) हासिल करने वालों के लिए यह थोड़ी चिंता का समय है। बजट, 2018 तक हम सबको पता था कि इस तरह के निवेश पर कोई एलटीसीजी टैक्स नहीं है। हालांकि, वर्ष 2018 में यह राहत खत्म हो गई। सरकार ने एक लाख रुपये तक के मुनाफे पर छूट के साथ 10 प्रतिशत टैक्स लगा दिया। इसके तहत बजट के दिन यानी 31 जनवरी, 2018 से होने वाले मुनाफे पर टैक्स देना है।

पहली फरवरी, 2018 से एक वर्ष से ज्यादा अवधि के निवेश वाले स्टॉक्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड बेचने का मतलब है कि 31, जनवरी, 2018 को बाजार बंद होने के समय से हुए मुनाफे पर टैक्स देना। यानी किसी भी वर्ष अगर आपको एक लाख रुपये से अधिक मुनाफा होता है तो उसका 10 प्रतिशत टैक्स देना होगा। इस पर सरचार्ज और सेस अलग से लगेगा।

एक वर्ष में एक लाख रुपये तक मुनाफे पर पहले जो टैक्स छूट थी, वह अब भी है। कुछ समय तक एक लाख रुपये की सालाना छूट ने उत्साह जगाया, क्योंकि इससे टैक्स हार्वेस्टिंग की संभावना पैदा होती है। टैक्स हार्वेस्टिंग का मतलब है कि किसी वर्ष अगर आप एलटीसीजी के दायरे में आते हैं और आपको निवेश बेचने की जरूरत नहीं है, फिर भी आपको उतना निवेश बेच देना चाहिए जिससे एक लाख रुपये तक का मुनाफा हो। इसके तुरंत बाद आप इस निवेश को दोबारा खरीद सकते है। इससे आप इस मुनाफे को भविष्य के लिए टैक्स फ्री बना देंगें।

इस तरह से आप सालाना 10,000 रुपये बचा लेंगे और आपको टैक्स रिटर्न के लिए कुछ कागजी कार्यवाही से गुजरना होगा। साथ ही लंबी अवधि के कुछ निवेश को कम अवधि का बना लेंगे। अब अगर आपको इस निवेश को एक वर्ष के अंदर बेचने की जरूरत पड़ जाती है, तो यह एक समस्या हो सकती है। यह मुद्दा इस वर्ष पहली बार इसलिए सामने आया है, क्योंकि जब से यह कानून अमल में आया है, तब से किसी को भी खास मुनाफा नहीं हुआ है।

ये सब बातें इस तथ्य पर पर्दा नहीं डाल सकती हैं कि यह कैपिटल गेन्स टैक्स के लिए खराब स्ट्रक्चर है। यह टैक्स बचत करने वालों की समस्या को और बढ़ाता है। भारत में बचत करने वाले पहले से ही डिपॉजिट्स पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हैं। यह निर्भरता उनकी वित्तीय सेहत को लगातार नुकसान पहुंचा रही है। बचत करने वालों को इस बात के लिए हर तरह से प्रोत्साहित करने की जरूरत है कि वे इक्विटी आधारित निवेश को अपनाएं।

बचत के लिहाज से भारत अब भी फिक्स्ड इनकम वाला देश है। हालांकि, फिक्स्ड इनकम रिटर्न में बड़ी गिरावट आई है। और बचत करने वाले अब भी पुरानी आदत को नहीं छोड़ पा रहे हैं। ऐसे में रिटायर होने वाले ज्यादा से ज्यादा लोग बुढ़ापे की गरीबी की ओर जा रहे हैं। इक्विटी आधारित निवेश को अपनाने के अलावा इसका कोई समाधान नहीं है।

एलटीसीजी का नुकसान सिर्फ 10 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है। कई बार ऐसा होता है जब आपका निवेश अच्छा रिटर्न नहीं दे रहा होता है और उससे निकल जाना चाहते हैं। पहले ऐसा करने पर इक्विटी फंड निवेश टैक्स फ्री था। अब आपको 10 प्रतिशत टैक्स देना होगा। और लंबी अवधि में यह 20 से 30 प्रतिशत या इससे ज्यादा भी हो सकता है। सबसे बड़ी बात महंगाई की मार है। ऐसे में बेहतर है कि सरकार इसे खत्म कर दे।

(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)


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