Budget 2020: नदियों के किनारे बहेगी व्यापारिक गतिविधियों की 'अर्थगंगा'
Budget 2020 विश्व बैंक की मदद से कार्यान्वित होने वाली इस परियोजना का मकसद परिवहन का वैकल्पिक साधन विकसित करने के अलावा परिवहन लागत तथा पर्यावरण प्रदूषण में कमी लाना है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। नदियों के किनारे व्यापारिक गतिविधियों का व्यापक ढांचा विकसित करने की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की 'अर्थगंगा' संबंधी संकल्पना अब साकार होगी। आम बजट में इसकी घोषणा हो गई है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पिछले पांच वर्षो में अंतर्देशीय जल परिवहन के क्षेत्र में काफी काम हुआ है। गंगा-भागीरथी-हुगलीनदी पर विकसित हो रहे राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर तेजी से काम चल रहा है और इसे शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा।
इसके अलावा 890 किलोमीटर लंबी धुबरी-सदिया जल संपर्क योजना को भी 2022 तक पूरा करने का प्रस्ताव है।उन्होंने कहा कि जलमार्गो के विकास से नदियों के दोनो ओर आर्थिक गतिविधियों का एक श्रृंखला विकसित होती है जिसका अर्थव्यवस्था और लोगों की खुशहाली पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।गौरतलब है कि सरकार ने नदियों में जल परिवहन सुविधाओं के विकास के लिए जनवरी 2018 में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर 5370 करोड़ रुपये लागत वाली जलमार्ग विकास परियोजना को मंजूरी दी थी।
विश्व बैंक की मदद से कार्यान्वित होने वाली इस परियोजना का मकसद परिवहन का वैकल्पिक साधन विकसित करने के अलावा परिवहन लागत तथा पर्यावरण प्रदूषण में कमी लाना है। इसके तहत गंगा नदी के साथ मल्टी मोडल एवं इंटरमोडल टर्मिनलों के विकास के साथ रोल-ऑन, रोल ऑफ फेरी सेवाएं प्रारंभ की जा रही हैं। परियोजना 2023 में पूरी होनी है। इसके पूरा होने पर 46 हजार लोगों को प्रत्यक्ष तथा 84 हजार लोगों को परोक्ष रोजगार मिलने की संभावना है।
इसका लाभ उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में गंगा के तटवर्ती जिलों के लोगों को मिलेगा। प्रोजेक्ट के तहत वाराणसी, साहिबगंज, हल्दिया में मल्टीमोडल तथा कालूघाट, गाजीपुर में इंटरमोडल टर्मिनल का विकास किया जाएगा जबकि फरक्का में नया नेवीगेशन लॉक निर्मित किया जा रहा है। इसके अलावा नदी के दोनो ओर पांच स्थानों पर रोल-ऑन, रोल ऑफ टर्मिनल बनाए जा रहे हैं। इसमें कुछ जगहों पर एकीकृत शिप रिपेयर व मेंटीनेंस कांप्लेक्स के निर्माण का भी प्रस्ताव है।
इस समय देश में नदी आधारित कुल 111 राष्ट्रीय नदी जलमार्ग हैं। इनमें 106 नए जलमार्गो की घोषणा मोदी सरकार ने 2016 में की थी। इनकी कुल लंबाई 20,275.5 किलोमीटर है। 2018-19 में इन जलमार्गो के जरिए 7.2 लाख टन माल की ढुलाई की गई। जबकि 2021-22 तक इसे बढ़ाकर 10 लाख टन करने का लक्ष्य है।
जानकारों के अनुसार प्राचीन काल में भारत में अधिकांश माल परिवहन मुख्यतया जलमार्गो के जरिए होता था। अब ये स्थिति नहीं रही। जबकि पश्चिम में जर्मनी जैसे अनेक देशों ने जल परिवहन का व्यापक तंत्र विकसित कर परिवहन लागत के साथ पर्यावरण प्रदूषण में कमी लाने में सफलता पाई है। भारत भी अपनी प्राचीन व्यवस्था की याद ताजा कर अब उस दिशा में बढ़ रहा है।