Budget 2019: सीतारमण बोलीं- गांव, गरीब, किसान केंद्र बिंदु , जीरो बजट फार्मिंग' को देंगे बढ़ावा
Union Budget 2019 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि गांव गरीब और किसान हमारे केंद्र बिंदु हैं। हमारा जोर अब इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने पर है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Union Budget 2019 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि गांव, गरीब और किसान हमारे केंद्र बिंदु हैं। हमारा जोर अब इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने पर है। भारतमाला परियोजना के जरिए हम देश के हर गांव तक पक्की सड़क पहुंचा रहे हैं और नेशनल हाइवे का निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नवीन ऊर्जा का निजी उद्यमशीलता को बढ़ावा देंगे। गांव में स्वच्छ भारत अभियान का काफी प्रभाव देखने को मिला है। लगभग 5.6 लाख गांव खुले में शौच से मुक्त हुए। इनमें से 45 हजार शौचालय गूगल मैप पर हैं। अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने के लिए कई प्रोग्राम हैं।
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जल प्रबंधन: वित्त मंत्री ने कहा कि स्वच्छ पेयजल पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता होगी। जल संसाधन विभाग का लक्ष्य जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक “हर घर जल” है। निर्मला सीतारमण ने वर्षा जल संचयन, अपशिष्ट निर्वहन प्रबंधन को किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पीएम सड़क योजना के तहत आवंटित किए जाने वाले 80,250 करोड़ रुपये के निवेश से 1.25 लाख किमी लंबी सड़क का निर्माण किया जाएगा।
- अगले 5 वर्षों में 10 हजार नए किसान उत्पादक संगठन बनाए जाएंगे। डेयरी कार्यों को बढ़ावा दिया जाएगा , पिछले डेढ़ सालों में किसानों ने दालों के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाया है।
- हम उम्मीद करते हैं कि तिलहन में भी किसान हमें आत्मनिर्भर बनाएंगे।
-ग्रामीण भारत पर हमारा विशेष ध्यान है। किसानों के लिए जीवन व्यतीत करना और व्यवसाय करना आसान बनाएंगे।
-किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'जीरो बजट फार्मिंग' को बढ़ावा दिया जाएगा।
-इन सब प्रयासों में हम इस स्थिति में पहुंचेंगे, जहां पर जीरो बजट फार्मिंग को लागू किया जा सकेगा।
-हमारा लक्ष्य गांव में हर घर तक पानी पहुंचाने का है, जिसे हम पूरा जरूर करेंगे।
बता दें कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की पहली आर्थिक सर्वेक्षण में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियां गिनाईं। उन्होंने कहा था कि कृषि क्षेत्र में पानी के अंधाधुंध दोहन पर चिंता जताते हुए इसके किफायती उपयोग पर जोर दिया गया है। सर्वेक्षण में 'भूमि की उत्पादकता' से 'सिंचाई जल उत्पादकता' को प्राथमिकता देने पर बल दिया गया है। जल के उचित उपयोग के साथ फसलों के विविधीकरण का सुझाव दिया गया है। जल को लेकर किसानों को संवेदनशील बनाने की जरूरत पर बल दिया गया है।