छोटे करदाताओं से अन्याय नहीं, ऊंची महंगाई दर के चंगुल से निकल चुका है देश: जेटली
जेटली ने कहा कि मध्यम वर्ग को पिछले वर्षों के बजट में कई तरह की रियायतें दी जा चुकी हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस वर्ष बजट में मध्यम वर्ग को कोई रियायत नहीं देने की आलोचनाओं का बचाव किया है। उनका कहना है कि सरकार का फोकस लोगों को ईमानदारी से आयकर चुकाने के लिए प्रेरित कर करदाता आधार बढ़ाने की है। इसलिए इस वर्ष के बजट में ईमानदार करदाताओं के लिए रियायत का प्रावधान किया गया है।
शुक्रवार को जेटली ने कहा कि मध्यम वर्ग को पिछले वर्षों के बजट में कई तरह की रियायतें दी जा चुकी हैं और जब भी सरकारी खजाने में ऐसी कोई गुंजाइश बनेगी, सरकार उन्हें रियायत और राहत देना जारी रखेगी। गौरतलब है कि सरकार ने इस वर्ष बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाने की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए ईमानदारी से आयकर भुगतान कर रहे वेतनभोगियों को मामूली राहत दी थी।
शुक्रवार को जेटली ने कहा कि कानून अनुपालन के मोर्चे पर भारत गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है। हमारे सामने करदाता आधार बढ़ाने की बड़ी चुनौती है। इसलिए अगर आप मेरे द्वारा प्रस्तुत पिछले चार-पांच बजट को देखें तो पता चलेगा कि हमने चरणबद्ध तरीके से हर वर्ष छोटे करदाताओं को कुछ न कुछ राहत दी है।’ जेटली ने कहा कि इसी सरकार ने आयकर छूट की सीमा दो लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की थी और मूल कर्ज वापसी छूट की सीमा दो लाख रुपये की थी। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देखा गया कि कारोबारी वर्ग के मुकाबले वेतनभोगी वर्ग ज्यादा आयकर भुगतान कर रहा है। इसलिए सरकार ने आयकर सीमा में सीधी छूट नहीं देते हुए वेतनभोगियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन जैसा प्रावधान किया जिससे कि फायदा उसी को मिले जो आयकर का भुगतान कर रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि देश अब ऊंची महंगाई दर के चंगुल से निकल चुका है और चार फीसद के मौजूदा महंगाई दर लक्ष्य में अगर दो फीसद ऊपर-नीचे होती भी है तो उसे कभी भी काबू किया जा सकता है। बैंकों की विलय योजना और आइडीबीआइ बैंक के निजीकरण की योजनाओं को ठंडे बस्ते में डालने के सवाल पर जेटली ने कहा कि सरकार की दोनों ही योजनाएं जल्द धरातल पर उतरेंगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार बैंकों की माली हालत सुधरने और उचित माहौल का इंतजार कर रही है।
ई-वे बिल पर जीएसटीएन से रिपोर्ट मांगी
इधर, वित्त मंत्रालय ने जीएसटी की चोरी की संभावनाओं को खत्म करने वाले ई-वे बिल की मौजूदा स्थिति पर सेवा प्रदाता कंपनी जीएसटी-नेटवर्क से रिपोर्ट मांगी है। पिछले वर्ष से परीक्षण के दौर से गुजर रहे ई-वे बिल को योजना के मुताबिक गुरुवार को आधिकारिक रूप से लांच किया गया था। लेकिन तकनीकी खराबी के चलते यह काम नहीं कर पाया। मंत्रालय ने कंपनी से कहा है कि अगली बार योजना के लागू होने के वक्त वह तकनीकी तौर पर पूरी तरह से तैयार रहे।
ईमानदार करदाताओं को दी है राहत: अढ़िया
वित्त सचिव हसमुख अढिया ने शुक्रवार को कहा कि स्टैंडर्ड डिडक्शन के जरिये वेतन व पेंशनभोगी वर्ग की आयकर छूट सीमा 2.9 लाख रुपये तक ले जाने का मकसद ईमानदार आयकर दाताओं को प्रोत्साहित करना है। अढिया ने कहा, ‘अगर आयकर छूट सीमा बढ़ाई जाती तो 1.88 करोड़ गैर वेतनभोगी करदाता भी उसका लाभ लेते जो महज 48,000 करोड़ रुपये टैक्स भुगतान करते हैं। इसके बदले सरकार ने 1.44 लाख करोड़ रुपये आयकर देने वाले वेतनभोगी व्यक्तियों को लाभ देने के लिए चुना। इससे लोगों में आयकर चुकाने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा सकेगा।’