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Year Ender 2020: कोरोनावायरस से रियल एस्टेट सेक्टर को लगा बड़ा धक्का, सरकार के उपायों से जुलाई से दिखी रिकवरी

Year Ender 2020 इस साल सरकार ने लिक्विडिटी बढ़ाने और इकोनॉमी एवं रियल एस्टेट सेक्टर को मजबूती देने के लिए कई तरह के कदमों की घोषणा की। इनमें रेपो रेट में कमी का फैसला सबसे अहम रहा। इससे होम लोन पर ब्याज में कमी आई।

By Ankit KumarEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 02:29 PM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 02:29 PM (IST)
Year Ender 2020: कोरोनावायरस से रियल एस्टेट सेक्टर को लगा बड़ा धक्का, सरकार के उपायों से जुलाई से दिखी रिकवरी
अधिकतर शहरों में अक्टूबर आते-आते कोविड से पहले के मुकाबले 70-80% तक का बिजनेस रिकवर हो गया। (PC: ANI)

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कोविड-19 महामारी पहले से संकट का सामना कर रहे रियल एस्टेट सेक्टर के लिए काफी अधिक भारी पड़ा। भविष्य से जुड़ी अनिश्चितताओं के कारण लोगों ने मार्च से जून के बीच मकान खरीदने की अपनी योजना को टाल दिया था। दूसरी ओर, मांग के साथ लिक्विडिटी और लेबर से जुड़ी समस्याओं ने रियल एस्टेट सेक्टर की समस्याओं को कई गुना तक बढ़ा दिया। हालांकि, इस साल सरकार ने लिक्विडिटी बढ़ाने और इकोनॉमी एवं रियल एस्टेट सेक्टर को मजबूती देने के लिए कई तरह के कदमों की घोषणा की। इनमें रेपो रेट में कमी का फैसला सबसे अहम रहा, जिससे होम लोन की ब्याज दरें पिछले दो दशक में पहली बार सात फीसद से नीचे आ गईं। इन प्रयासों का असर जुलाई के बाद देखने को मिला क्योंकि इकोनॉमी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी और रियल एस्टेट सेक्टर में उम्मीद से पहले रिकवरी देखने को मिली। 

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मोतीलाल ओसवाल रियल एस्टेट के सीईओ और प्रमुख शरद मित्तल ने कहा, ''पिछले कुछ वर्षों में रेगुलेटरी सुधारों और सरकार की नीतियों की वजह से रियल एस्टेट सेक्टर पहले से अधिक संगठित हुआ है लेकिन इस वजह से कई तरह के उथल-पुथल देखने को मिले और इस सेक्टर में कई तरह की चुनौतियां देखने को मिलीं। नोटबंदी और रेरा की वजह से अनौपचारिक निजी निवेश में कमी आई, जिसकी वजह से 2015/16 में काफी तेज वृद्धि देखने को मिली थी।'' 

मित्तल ने कहा कि जीएसटी और रेरा से सेक्टर में पारदर्शिता और जवाबदेही आई। उन्होंने कहा कि इससे सेक्टर को लेकर विश्वास की कमी पैदा हो गई। नई परिस्थितियों में बड़ी कंपनियों को फायदा हुआ। दूसरी ओर, छोटी कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा।  

वर्ष 2018 में IL&FS संकट के सामने आने के बाद नकदी की जबरदस्त कमी उत्पन्न हो गई और इस वजह से कई रियल एस्टेट डेवलपर लगभग दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गए।  

बकौल मित्तल 2020 में रियल एस्टेट एक अहम मोड़ पर पहुंच गया। कोविड-19 महामारी का असर देश और दुनिया पर देखने को मिला। भारत में कई चरण का लॉकडाउन लागू करना पड़ा। इन सभी चीजों का असर रियल एस्टेट सेक्टर भी देखने को मिला। उन्होंने कहा कि एक समय में बिक्री लगभग रूक गई थी और कैशफ्लो पर बहुत अधिक असर पड़ा था। दूसरी ओर लागत समान बनी हुई थी। लेबर की कमी की वजह से लॉकडाउन से जुड़ी पाबंदियों को हटाए जाने के बावजूद गतिविधियों के सामान्य होने में कई और महीने लग गए। इस साल मार्च से जुलाई की अवधि कई डेवलपर्स के लिए काफी मुश्किल भरी रही, जो पहले से अस्तित्व के संकट से जूझ रहे थे।

अधिकतर शहरों में अक्टूबर आते-आते कोविड से पहले के मुकाबले 70-80% तक का बिजनेस रिकवर हो गया। वहीं, कई प्रमुख डेवलपर्स की रिकवरी 100 फीसद तक रही। 

नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था खपत आधारित है, और त्योहारी सीजन की शुरुआत ने बाजार की अनुकूल परिस्थितियों के साथ मिलकर हाउसिंग की मांग को बढ़ावा दिया है। मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि घरों की बिक्री में सुधार हुआ है और संपत्ति पंजीकरण में वृद्धि दर्ज हुई है, जिससे घर खरीदने का इंतजार कर रहे लोगों को भी वास्तविक घर खरीदारों में परिवर्तित होने का मौका मिला है।  

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