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Year Ender 2020: कोविड-19 ने बिगाड़ी उद्योग जगत की सूरत, सरकार के प्रयासों से 2021 में मजबूत रिकवरी की उम्मीदः पीएचडी चैंबर

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) के प्रेसिडेंट संजय अग्रवाल ने कहा है कि वर्ष 2020 में कोरोना वायरस की वजह से इकोनॉमी व्यापार और इंडस्ट्री पर गंभीर प्रभाव देखने को मिला है जो गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 01:25 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 02:39 PM (IST)
Year Ender 2020: कोविड-19 ने बिगाड़ी उद्योग जगत की सूरत, सरकार के प्रयासों से 2021 में मजबूत रिकवरी की उम्मीदः पीएचडी चैंबर
कोविड-19 के प्रभाव के चलते टूरिज्म और हॉस्पिटालिटी सेक्टर पर बहुत अधिक असर पड़ा है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) के प्रेसिडेंट संजय अग्रवाल ने कहा है कि वर्ष 2020 में कोरोना वायरस की वजह से इकोनॉमी, व्यापार और इंडस्ट्री पर गंभीर प्रभाव देखने को मिला है, जो गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की वजह से बिजनेस और कंज्यूमर कॉन्फिडेंस में कमी आई। दूसरी ओर उत्पादन और बिक्री में भी गिरावट देखने को मिली। इसके साथ ही मांग भी घटी, परिचालन के लिए जरूरी पूंजी पर भी असर पड़ा। कोविड-19 से जुड़ी अनिश्चितता की वजह से देश के कारोबारी माहौल और उद्यमिता पर भी असर देखने को मिला। हालांकि, सरकार द्वारा पिछले नौ माह में घोषित राहत पैकेज और अन्य उपायों से प्रमुख आर्थिक सूचकांकों पर रिकवरी के संकेत देखने को मिल रहे हैं। 

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सरकार द्वारा उठाए गए प्रयासों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में अग्रवाल ने कहा कि भारत सरकार देश के लोगों की मुश्किलों को कम करने के लिए प्रो-एक्टिव तरीके से कदम उठाती रही है। सरकार और आरबीआई ने पिछले नौ माह में करीब 29.9 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन उपाय किए हैं, जो काफी सराहनीय है। सरकार ने अपने प्रोत्साहन पैकेज के तहत भूमि, श्रम, लिक्विडिटी और कानून, MSMEs और समाज के हर तबके को बराबर महत्व दिया। ये प्रयास किसानों, श्रमिकों, कर्मचारियों, उद्योगपतियों और अन्य के सेंटिमेंट को मजबूती देने के लिए जरूरी था। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित उपायों और सुधारों में MSMEs सेक्टर के लिए घोषित बिना गारंटी के लोन, 10 प्रमुख सेक्टर्स के लिए प्रोडक्शन से जुड़ी प्रोत्साहन स्कीम, सरकार द्वारा ईपीएफ में सहयोग प्रमुख हैं।  

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इन मुद्दों पर ध्यान दिए जाने की है जरूरत

अग्रवाल ने कहा कि सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास और कमजोर तबके के लोगों को ऊपर उठाने के लिए विभिन्न कल्याण योजनाओं पर खर्च किए जाने की जरूरत है। सरकार वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग पैदा करने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए ऐसा कर सकती है। कोविड-19 के प्रभाव के चलते टूरिज्म और हॉस्पिटालिटी सेक्टर पर बहुत अधिक असर पड़ा है। ऐसे में इन सेक्टर्स के लिए खास प्रोत्साहन पैकेज की जरूरत है।  

नए वर्ष में हालात में देखने को मिल सकता है सुधार

PHDCCI EBM Index (Economic and Business Momentum Index) के मुताबिक प्रमुख आर्थिक एवं कारोबारी सूचकांक में सुधार इस बात को दिखाते हैं कि बुरा समय बीत चुका है और चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 0.1 फीसद से दो फीसद के बीच रह सकता है। साथ ही चौथी तिमाही में आर्थिक विकास दर दो से चार फीसद के बीच रह सकता है। अग्रवाल ने कहा कि इस इंडेक्स के मुताबिक अगले वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार 7.7 फीसद के आसपास रह सकती है।  

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