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डीएचएफएल पर फंड डाइवर्जन के आरोप, सिन्हा ने की जांच की मांग

कंपनी पर आरोप लगने और उसका मुनाफा 36.7 फीसद घटने के चलते इसके शेयर गिरावट आई।

By NiteshEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 10:47 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 12:02 PM (IST)
डीएचएफएल पर फंड डाइवर्जन के आरोप, सिन्हा ने की जांच की मांग
डीएचएफएल पर फंड डाइवर्जन के आरोप, सिन्हा ने की जांच की मांग

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी डीएचएफल पर लगे 31,000 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच की मांग की है। कंपनी पर आरोप है कि उसने सरकारी बैंकों जैसे एसबीआइ और बैंक ऑफ बड़ौदा से कर्ज लेकर उसका इस्तेमाल दूसरे कार्यो के लिए किया। हालांकि डीएचएफएल ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित करार दिया है। इस बीच, डीएचएफएल का शेयर 8.01 फीसद गिरकर 170.05 रुपये रह गया। कंपनी पर आरोप लगने और उसका मुनाफा 36.7 फीसद घटने के चलते इसके शेयर गिरावट आई।

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मंगलवार को कंपनी पर वित्तीय अनियमितताएं बरतने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि डीएचएफएल ने 97000 करोड़ रुपये के कुल बैंक लोन में से 31000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल मुखौटा कंपनियों कर्ज देने में किया। इस आरोप के बाद सिन्हा ने कहा कि सरकार कंपनी पर लग रहे विभिन्न आरोपों की जांच का आदेश तत्काल जारी नहीं करती तो इससे सरकार की नीयत पर सवाल खड़े होंगे। इसलिए वह अदालत की निगरानी में एक विशेष जांच दल से इसकी जांच कराने की मांग करते हैं।

इस बीच, डीएचएफएल ने एक बयान जारी कर कहा है कि कंपनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध हाउसिंग फाइनेंस कंपनी है और यह सेबी तथा नेशनल हाउसिंग बैंक और अन्य नियामकों के नियमों का पालन करती है। कंपनी का कहना है कि उस पर लगाए गए सभी आरोप दुर्भावना से प्रेरित हैं और इनका इरादा डीएचएफएल की साख को ठेस पहुंचाना है। कंपनी ने कहा कि इस कवायद का मुख्य उद्देश्य कंपनी को अस्थिर करना और बाजार में असंतुलन पैदा करना है ताकि कंपनी अपनी मौजूदा जिम्मेदारियों को पूरा न कर सके।

बाजार के जानकार भी मानते हैं कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां सरकारी बैंकों से कर्ज लेकर आगे छोटी कंपनियों को कर्ज देती हैं। लेकिन ऐसा करते वक्त वे जिन कंपनियों को कर्ज देती हैं, उनका न तो वित्तीय आकलन करती हैं और न ही कर्ज के बदले किसी तरह का जमानत लेती हैं। इसी की आड़ में अक्सर ये कंपनियां मुखौटा कंपनियों को कर्ज देकर फंड का डाइवर्जन कर लेती हैं।

गौरतलब है कि साल 2017-18 के वित्तीय विवरण के मुताबिक डीएचएफएल की कुल जमा पूंजी 8795 करोड़ रुपये थी। इसके बावजूद कंपनी विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 98718 करोड़ रुपये का कर्ज हासिल करने में कामयाब हुई। कर्ज की इस धनराशि से डीएचएफएल ने 84,982 करोड़ रुपये के कर्ज बांटे।

आरोप है कि डीएचएफएल के शेयरधारकों कपिल वधावन, अरुणा वधावन और धीरज वधावन ने अपने छद्म प्रतिनिधियों और सहयोगियों को असुरक्षित लोन दिया जो बाद में वधावन के नियंत्रण वाली कंपनियों को हस्तांतरित कर दिया गया। इस धन का इस्तेमाल भारत के अलावा अमेरिका, दुबई, श्रीलंका और मॉरीशस जैसी जगहों पर निजी परिसंपत्ति, शेयर और हिस्सेदारी खरीदने के लिए किया गया। हालांकि डीएचएफएल ने इन सभी आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है।

कंपनी का कहना है कि डीएचएफएल एक जिम्मेदारी और कानून का पालन करने वाली कंपनी है और सभी लोन सामान्य कारोबार की प्रक्रिया में उद्योग जगत में प्रचलित तरीकों से और सभी नियमों का पालन करते हुए दिये गए हैं। कंपनी के वित्तीय वक्तव्य शेयर बाजार में जमा किए गए हैं और ये सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं। डीएचएफएल और उसकी समूह कंपनियों को सभी तरह की जांच में खरा उतरने का भरोसा है। 


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