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बढ़ती महंगाई या मंदी की आहट? आखिर क्यों सहमे हैं दुनिया के शेयर बाजार, यूरो और ब्रिटिश पाउंड में रिकॉर्ड गिरावट

शुक्रवार को अमेरिका यूरोप और एशिया के शेयर बाजार बड़ी गिरावट के साथ बंद हुए। ये गिरावट महंगाई को काबू करने के लिए फेड की ओर से ब्याज दर बढ़ने के फैसले के बाद से शुरू हुई है।

By Abhinav ShalyaEdited By: Published: Sat, 24 Sep 2022 10:58 AM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2022 11:22 AM (IST)
बढ़ती महंगाई या मंदी की आहट? आखिर क्यों सहमे हैं दुनिया के शेयर बाजार, यूरो और ब्रिटिश पाउंड में रिकॉर्ड गिरावट
World Share Market Fall due to recession and inflation fears

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। दुनिया भर के बाजारों में शुक्रवार को आर्थिक मंदी की आहट के चलते बड़ी गिरावट हुईं। अमेरिका से लकेर यूरोप और एशिया के बाजारों में बिकवाली हावी रही। दुनिया के बाजारों में गिरावट की शुरुआत अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेड के 21 सितंबर के उस फैसले के बाद हुई, जिसमें महंगाई को कम करने के लिए ब्याज दरों लगातार तीसरी बार 75 आधार अंक या 0.75 प्रतिशत बढ़ाया गया था।

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अमेरिका में महंगाई उच्चतम स्तर पर बनी हुई है। इसके कारण अमेरिका के बाजारों में लगातार ऊपरी स्तर से बड़ी गिरावट आ रही है। शुक्रवार को डाउ जोन्स 486 अंक या 1.62 प्रतिशत गिरकर 29,590 पर पहुंच गया। जानकारों का कहना है कि गिरावट और अधिक बढ़ती है तो अमेरिकी बाजार आधिकारिक तौर पर मंदी में चला जाएगा।

दुनिया के शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट

यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी के शेयर बाजार में 1.97 प्रतिशत, फ्रांस में 2.28 प्रतिशत, यूके में 1.97 प्रतिशत, स्पेन में 2.46 प्रतिशत की बड़ी गिरावट हुई है। वहीं, चीन (शंघाई) के शेयर बाजार में 0.66 प्रतिशत, थाईलैंड में 0.83 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया के बाजार में 1.81 प्रतिशत और ताइवान के शेयर बाजार 1.66 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ।

भारतीय शेयर बाजार का हाल

कमजोर वैश्विक संकेतों के चलते कल भारतीय शेयर बाजार में भी बड़ी गिरावट हुई थी। निफ्टी 302 अंक या 1.72 प्रतिशत गिरकर 17,327 अंक और सेंसेक्स 1.73 प्रतिशत गिरकर 1,020 अंक या 1.73 प्रतिशत गिरकर 58,098 गिरकर बंद हुआ था।

दुनिया की बड़ी मुद्राओं में गिरावट

ब्रिटिश सरकार की ओर से फाइनेंस टैक्स में कमी के चलते शुक्रवार को यूके की मुद्रा ब्रिटिश पाउंड 37 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई और इसके साथ ही यूरोप की मुद्रा यूरो भी अपने 20 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी डॉलर में मजबूती का स्तर मापने वाला डॉलर इंडेक्स 20 सालों के उच्चतम स्तर 111 के आसपास बना हुआ है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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