विश्व बैंक को भारत के तेज आर्थिक विकास का भरोसा
विश्व बैंक (World Bank) ने अपनी ‘ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स’ रिपोर्ट में कहा है कि अगले दो वित्त वर्ष में भी भारत की विकास दर 7.5 फीसद रह सकती है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पिछली तिमाही के सुस्त आधिकारिक जीडीपी आंकड़े के बावजूद विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास अनुमान को 7.5 फीसद पर कायम रखा है। इतना ही नहीं विश्व बैंक ने अपनी ‘ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स’ रिपोर्ट में कहा है कि अगले दो वित्त वर्ष में भी भारत की विकास दर 7.5 फीसद रह सकती है। मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष में देश की अनुमानित विकास दर 7.2 फीसद रही है। सरकारी खपत में सुस्ती की भरपाई इस दौरान निवेश में बढ़ोतरी से हुई।
चीन के बारे में मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 की 6.6 फीसद विकास दर के मुकाबले 2019 में चीन की विकास दर घटकर 6.2 फीसद पर आ सकती है। 2020 में यह 6.1 फीसद और 2021 में और घटकर छह फीसद पर आ सकती है। इससे भारत दुनिया की सर्वाधिक विकास दर वाली उभरती अर्थव्यवस्था बना रहेगा। इन आंकड़ों के आधार पर 2021 में भारत की विकास दर चीन के मुकाबले 1.5 फीसद अधिक हो जाएगी।
कुछ दिनों पहले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक 2018-19 की चौथी तिमाही में देश की विकास दर 5.8 फीसद रही, जो पिछले पांच साल का निचला स्तर है। इस आंकड़े के साथ विकास की दौड़ में भारत चीन से पिछड़ गया है। सीएसओ ने कहा कि कृषि और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में विकास दर घटने से देश की समग्र विकास दर पर नकारात्मक असर पड़ा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक के लक्षित दायरे से नीचे आ गई है। मौद्रिक नीति में नरमी के बीच कर्ज में होने वाली बढ़ोतरी का लाभ निजी खपत और निवेश को मिलेगा। 2018-19 में केंद्रीय स्तर पर वित्तीय घाटा कम करने की योजना में विलंब ने आम चुनाव से जुड़ी अनिश्चितता को बेअसर किया है।
विश्व बैंक ने कहा कि शहरों में कर्ज बढ़ने से खपत बढ़ी है और गांवों में कृषि उपज की कीमत गिरने से खपत घटी है। 2018 के आखिरी महीनों में आर्थिक गतिविधियों में आई सुस्ती का असर 2019 की पहली तिमाही में भी रहा, जैसा कि सेवा और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स के आंकड़ों से पता चलता है। वित्तीय घाटा के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान में यह सरकार के लक्ष्य से अधिक रह सकता है। गौरतलब है कि नई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार का पहला बजट अगले महीने की पांच तारीख को पेश करेंगी।
कम आय वाले देशों की विकास दर गरीबी मिटाने के लिए काफी नहीं : विश्व बैंक ने कहा कि कम आय वाले देशों की विकास दर इस साल के 5.4 फीसद से बढ़कर अगले साल छह फीसद पर पहुंच जाने का अनुमान है। लेकिन विकास में यह बढ़ोतरी गरीबी में समुचित कमी लाने के लिए काफी नहीं है। विश्व बैंक समूह के प्रेसिडेंट डेविड मलपास ने कहा कि गरीबी घटाने और जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए आर्थिक विकास दर में बढ़ोतरी किया जाना जरूरी है।
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