भारत के बिना व्यापार समझौते को अहम नहीं मान रहे हैं आरसेप देश, समझौते में चीन की वजह से भारत आरसेप से दूर रहने के पुराने फैसले पर कायम
आरसेप देशों के बीच इस बात को लेकर भी सहमति बनी है कि आरसेप देशों की बैठक में भारत अपनी मर्जी से शामिल हो सकता है। इन देशों ने यह भी कहा कि वे भारत को हर हाल में आरसेप देशों के समूह से जोड़ने की कोशिश करेंगे।
नई दिल्ली, राजीव कुमार। वैश्विक बाजार के लिए भारत की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 15 बड़े देश भारत के बिना आपसी मुक्त व्यापार समझौते को अहम नहीं मान रहे हैं। रिजनल इकोनॉमिक कंप्रेहेंसिव पार्टनरशिप (आरसेप) के तहत चीन, जापान समेत दुनिया के 15 देशों ने आपस में मुक्त व्यापार के लिए समझौता किया है, लेकिन ये सभी देश हर हाल में भारत को इस समझौते से जोड़ना चाहते हैं। दुनिया का लगभग 30 फीसद कारोबार इन 15 देशों के बीच होता है। पिछले साल नवंबर में भारत ने खुद को आरसेप से अलग कर लिया था। भारत की दलील थी कि इससे भारत के कृषि उद्योग और छोटे मैन्युफैक्चरर्स को नुकसान हो सकता है।
चीन के साथ बढ़ता व्यापार घाटा भी आरसेप से अलग होने के प्रमुख कारणों में से एक था। आरसेप से जुड़े देशों ने कहा कि भारत के लिए आरसेप का दरवाजा हमेशा खुला है। इन देशों का कहना है कि भारत सिर्फ इस बात को लिख कर दे देता है कि वह आरसेप को मानने के लिए तैयार है तो आरसेप से जुड़ने वाले सभी देश तत्काल रूप से भारत के साथ व्यापार समझौता के लिए बातचीत शुरू कर देंगे।
आरसेप देशों के बीच इस बात को लेकर भी सहमति बनी है कि आरसेप देशों की बैठक में भारत अपनी मर्जी से शामिल हो सकता है। समझौते से जुड़ी वर्चुअल बैठक के दौरान इन देशों ने यह भी कहा कि वे भारत को हर हाल में आरसेप देशों के समूह से जोड़ने की कोशिश करेंगे। उनकी यह कोशिश भारत के राजी होने तक जारी रहेगी। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक फिलहाल भारत आरसेप देशों के साथ जुड़ने पर कोई विचार नहीं कर रहा है।
सूत्रों के मुताबिक आरसेप देशों में चीन भी शामिल हैं और चीन अब भारत के लिए विश्वसनीय नहीं रहा। आरसेप में शामिल होने पर चीन भारत में अपने माल काफी कम शुल्क या बिना शुल्क के भेज पाएगा जो भारत के छोटे उद्यमियों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। ये उद्यमी चीन के सस्ते सामान का मुकाबला नहीं कर पाएंगे और वे कारोबार से बाहर हो सकते हैं।
अभी सरकार भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में प्रयासरत है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे में भारत आरसेप में शामिल होकर चीन की वस्तुओं के लिए अपने दरवाजे को और नहीं खोल सकता है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि आरसेप से जुड़ने वाले 15 देशों में एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) के 10 देशों के अलावा जापान, आस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया, न्यूजीलैंड और चीन शामिल हैं। इनमें से जापान, आस्ट्रेलिया और साउथ कोरिया भारत के लिए काफी अहम हैं क्योंकि कोरोना काल में बने वैश्विक समीकरण में भारत इन देशों के साथ मजबूत सप्लाई चेन स्थापित करना चाहता है जो चीन का विकल्प बन सके।