फोर्ड से टाटा ने यूं लिया अपने अपमान का बदला
घड़ी की सुई किस तरह घूमती है, यह बात टाटा समूह और फोर्ड से पता चलता है। रतन टाटा और उनकी टीम को उस समय अपमान का सामना करना पड़ा जब वे अपने समूह के नये वाहन कारोबार फोर्ड को बेचने गये थे। यह बात 1999 की है। लेकिन नौ
मुंबई। घड़ी की सुई किस तरह घूमती है, यह बात टाटा समूह और फोर्ड से पता चलता है। रतन टाटा और उनकी टीम को उस समय अपमान का सामना करना पड़ा जब वे अपने समूह के नये वाहन कारोबार फोर्ड को बेचने गये थे। यह बात 1999 की है। लेकिन नौ साल बाद ही टाटा समूह ने अमेरिकी कंपनी के प्रमुख ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को खरीदकर ‘कंपनी पर एहसान’ किया।
वर्ष 1999 में अमेरिका के डेट्रायट में फोर्ड के अधिकारियों के साथ रतन टाटा तथा अन्य शीर्ष अधिकारियों की बैठक को याद करते हुए टाटा समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने हमसे कहा ‘आपको कुछ पता नहीं है, आखिर अापने यात्री कार खंड में कदम रखा ही क्यों। उन्होंने कहा कि वे हमारे कार व्यवसाय को खरीदकर हमपर एहसान करेंगे।’ उस समय टीम में शामिल रहे प्रवीण काडले ने कहा कि टाटा मोटर्स की टीम ने उसी शाम न्यूयार्क लौटने का निर्णय किया और समूह के तत्कालीन चेयरमैन रतन टाटा 90 मिनट की उड़ान के दौरान उदास दिखे। काडले फिलहाल टाटा कैपिटल के प्रमुख है।
एक पुरस्कार समारोह में काडले ने कहा, ‘यह बात 1999 की थी और 2008 में फोर्ड के जेएलआर को हमने खरीदा। उस समय फोर्ड के चेयरमैन बिल बोर्ड ने टाटा को धन्यवाद दिया और कहा ‘आप जेएलआर को खरीदकर हमपर बड़ा एहसान कर रहे हैं।’ उनकी इस बात पर खूब तालियां बजी।
काडले ने रतन टाटा की तरफ से वाई बी चव्हाण नेशनल अवार्ड, 2014 हासिल किया। इस अवसर पर उन्होंने अपनी ज्यादातर बात मराठी भाषा में रखी। रतन टाटा इस समय 100 अरब डालर से अधिक के समूह के मानद अध्यक्ष हैं। कंपनी ने 1998 में अपनी पहली कार हैचबैक इंडिका पेश की लेकिन इसको अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिलने से निराश कंपनी ने एक साल के भीतर ही कार कारोबार, फोर्ड मोटर को बेचने का मन बनाया था।