नई दिल्ली (सुरेंद्र प्रसाद सिंह)। चालू रबी सीजन में गेहूं की सरकारी खरीद परवान चढ़ने लगी है। अब तक दो करोड़ टन से अधिक की खरीद हो चुकी है, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले ज्यादा है। गेहूं की सरकारी खरीद का यह स्टॉक निर्धारित खरीद लक्ष्य का दो-तिहाई हो गया है। दूसरी तरफ, भंडारण को लेकर गेहूं खरीद एजेंसियों की चिंता बढ़ने लगी है।
खरीद करने वाली सरकारी एजेंसी के मुताबिक चालू सीजन में गेहूं की खरीद निर्धारित लक्ष्य को छू सकती है। लेकिन इतने बड़े स्टॉक के भंडारण के लिए गोदामों की कमी होना तय है। दरअसल, सरकारी गोदामों में गेहूं का पुराना स्टॉक पड़ा हुआ है। अगर खरीद की रफ्तार यही बनी रही तो अगले एक सप्ताह में ही एक करोड़ टन से ज्यादा गेहूं और खरीदा जा सकता है। फिलहाल रोजाना की खरीद की आवक 15 लाख टन से अधिक चल रही है। उत्तर प्रदेश में गेहूं की खरीद वर्तमान में धीमी चल रही है, जिसके जल्दी ही जोर पकड़ने की संभावना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इसमें रुचि दिखा रहे हैं।
उन्होंने अपने मंत्रियों व विधायकों से जिलों में होने वाली गेहूं खरीद पर नजर रखने का निर्देश दिया है। गेहूं खरीद का लक्ष्य तय करने वाली खाद्य मंत्रालय की बैठक में तो राज्य सरकार ने 40 लाख टन खरीद करने को बताया था। लेकिन अब उसे बढ़ाकर 50 लाख टन कर दिया है। हालांकि पिछले साल यहां 36 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी।
सूत्रों के मुताबिक पंजाब में 40 से 60 लाख टन गेहूं का भंडारण खुले में करना होगा। जबकि हरियाणा में 10 से 15 लाख टन और मध्य प्रदेश में 30 लाख टन से अधिक गेहूं खुले में रखना होगा। गोदामों की भारी कमी से जूझ रही सरकारी एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास तिरपाल से ढक कर रखने अलावा और कोई विकल्प नहीं है। उत्तर प्रदेश के बारे में सूत्रों ने बताया कि यहां की हालत सबसे ज्यादा खराब है। यहां गोदामों की भारी किल्लत होगी। उपलब्ध गोदामों में ज्यादातर खाली नहीं हैं।
पिछले वित्त वर्ष में कृषि कर्ज 10 लाख करोड़ रुपये के पार
कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव आशीष कुमार भूटानी ने मंगलवार को कहा कि इस वर्ष मार्च में खत्म हुए वित्त वर्ष के दौरान सरकार किसानों के बीच 10 लाख करोड़ रुपये कर्ज बांटने का लक्ष्य हासिल कर चुकी है। उद्योग जगत की संस्था फिक्की के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए यह लक्ष्य 11 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के बीच कर्ज का वितरण चुनौती नहीं है, बल्कि असली चुनौती सही किसानों तक कर्ज पहुंचाना है। आयोजन में नाबार्ड के डिप्टी एमडी आर. अमलोर्पवनाथन ने कहा कि बढ़ती लागत के चलते किसानों की आमदनी कम हुई है। इससे उन पर खासा दबाव है।