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Budget 2017: क्या सोचा और आपने क्या पाया बजट से, जानिए

नए साल की नई उम्मीदों के साथ जब वित्त मंत्री संसद में बजट पेश कर रहे थे तब 130 करोड़ की आबादी में से बहुसंख्यक लोग सिर्फ सस्ते और महंगे की घोषणाएं सुनने को आतुर थे

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 01 Feb 2017 07:36 PM (IST)Updated: Thu, 02 Feb 2017 04:17 AM (IST)
Budget 2017: क्या सोचा और आपने क्या पाया बजट से, जानिए
Budget 2017: क्या सोचा और आपने क्या पाया बजट से, जानिए

नई दिल्ली। नए साल की नई उम्मीदों के साथ जब वित्त मंत्री संसद में बजट पेश कर रहे थे तब 130 करोड़ की आबादी में से बहुसंख्यक लोग सिर्फ सस्ते और महंगे की घोषणाएं सुनने को आतुर थे। लेकिन सस्ते और महंगे के फेर में अरुण जेटली ने कोई बड़े वित्तीय झटके नहीं दिए। फिस्कल डेफिसिट के अनुमान को कम रख केंद्रीय वित्त मंत्री ने जहां एक ओर अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की कोशिश की, वहीं नकदी लेनदेन को लेकर नई बंदिशों का ऐलान कर उन्होंने यह भी जता दिया कि सरकार कैशलेस इकोनॉमी और कालेधन पर अंकुश को लेकर कितना गंभीर है।

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जानिए आपको बजट से क्या मिला:

इंडीविजुअल टैक्सपेयर (Individual taxpayers):
क्या थी पहली उम्मीद: आम बजट से लोगों को व्यक्तिगत आय कर के लिए स्लैब में न्यूनतम 1 लाख रुपए का इजाफा किए जाने की उम्मीद थी। वहीं लोगों को टैक्स स्लैब में भी यह बदलाव उम्मीद थी कि न्यूनतम टैक्स स्लैब को 5 लाख तक किए जाएगा।

आपको क्या मिला: बदलाव सिर्फ यह हुआ कि अब 2.50 लाख रुपए से लेकर 5 लाख तक की सालाना कमाई करने वालों को 5 फीसदी का कर अदा करना होगा। पहले यह दर 10 फीसदी थी।

क्या थी दूसरी उम्मीद: जेटली से यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि कॉर्पोरेट टैक्स की जो मौजूदा दर 30 फीसद पर है उसमें कम से कम 1 फीसदी की कटौती करेंगे, क्योंकि उन्होंने साल 2015 के दौरान अपनी बजट स्पीच में वादा किया था कि वो कार्पोरेट टैक्स की दरों को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसद कर देंगे। यह काम आगामी तीन सालों में सिलसिलेवार तरीके से किए जाने का उन्होंने वादा किया था।

विशेष आर्थिक क्षेत्र पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) को घटाकर 10 फीसदी तक लाने की उम्मीद की गई थी, ताकि निवेश को बढ़ावा मिल सके। मैट की दर साल 2007 में 7.5 फीसदी थी, जो कि अब 18.5 फीसदी है यानी दोगुने से ज्यादा।

क्या मिला: मैट की आंकलन वर्ष की अवधि को बढ़ाकर 15 साल कर दिया गया है, जो कि फिलहाल 10 साल है। वहीं कार्पोरेट टैक्स की दरों में कटौती कर 30 से 25 फीसदी कर दी गई है, लेकिन इसका फायदा सिर्फ उन्हें मिलेगा जिनका सालाना टर्नओवर 50 करोड़ रुपए तक है।


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