जीएसटी क्षतिपूर्ति पर नहीं होगी काउंसिल में वोटिंग, कर्ज के तरीके और मात्रा पर फैसले का जीएसटी काउंसिल को अधिकार नहीं
इस सप्ताह सोमवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक में क्षतिपूर्ति की भरपाई उधारी से करने के तरीके पर दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बनते देख काउंसिल की बैठक फिर अगले सप्ताह सोमवार को बुलाई गई है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर केंद्र सरकार और गैर-भाजपा शासित राज्यों के बीच टकराव बढ़ने के आसार हैं। सोमवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक में क्षतिपूर्ति की भरपाई उधारी से करने के तरीके पर दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बनते देख काउंसिल की बैठक फिर अगले सप्ताह सोमवार को बुलाई गई है। वहीं, पूर्व वित्त मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए संसाधन खोजने की जिम्मेदारी केंद्र की है और राज्यों को इस क्षतिपूर्ति के लिए कर्ज नहीं लेना चाहिए। उन्होंने केंद्र का विकल्प नहीं मानने वाले राज्यों से जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में भी अपने फैसले पर कायम रहने की सलाह दी।
जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर केद्र और राज्य की ओर से अलग-अलग तर्क दिए जाते रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इस सप्ताह सोमवार को भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस शासित व विपक्षी राज्यों को यह संकेत दे दिया कि सरकार उनके दबाव के आगे झुकने वाली नहीं है। हालांकि बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में सीतारमण ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी राज्य को क्षतिपूर्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है, लेकिन राज्यों को उधार लेना पड़ेगा। केंद्र की दलील है कि वह कोरोना की वजह से पहले से ही इतना अधिक कर्ज ले चुका है कि अब और कर्ज लेने की गुंजाइश नहीं बची है। इस बीच यह भी कयास लगाए जाते रहे कि अधिकतर राज्य सरकारें केंद्र के साथ हैं, इसलिए विपक्षी राज्यों को शर्तें माननी ही होंगी।
लेकिन वित्त मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने साफ कर दिया है कि केंद्र या राज्य कर्ज कितनी और किस तरह से ले, यह मामला जीएसटी काउंसिल के दायरे में आता ही नहीं है। इसलिए इस मुद्दे पर वोटिंग करवाने का सवाल नहीं है। काउंसिल के कानूनी अधिकार में यह था कि राज्यों को क्षतिपूर्ति राशि की भरपाई के लिए ज्यादा लंबे समय तक क्षतिपूर्ति टैक्स वसूलने का अधिकार दिया जाए। यह फैसला सोमवार की बैठक में हो चुका है।
कुल मिलाकर 21 राज्य (भाजपा शासित सभी शामिल) वित्त मंत्रालय के सहयोग से आरबीआइ से कर्ज लेने को तैयार हैं। वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि राज्य चाहें तो अपने स्तर पर जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए उधारी ले सकते हैं। उन्होंने जीएसटी काउंसिल से अब मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। ऐसे में कोई राज्य काउंसिल में वोटिंग करवाने की मांग नहीं कर सकता है। कानून में स्पष्ट है कि वोटिंग उन्हीं मुद्दों पर करवाया जा सकता है जिसमें जीएसटी काउंसिल का अधिकार हो। उक्त अधिकारी के मुताबिक अगर एक भी राज्य क्षतिपूर्ति के लिए कर्ज लेना चाहे और बाकी पक्ष में नहीं हो तब भी वोटिंग के जरिये उस राज्य को कर्ज लेने से नहीं रोक सकते।
वित्त मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक इस वर्ष जून में एटॉर्नी जनरल ने सलाह दी थी कि राज्य भविष्य में अपनी राजस्व प्राप्तियों के आधार पर उधारी ले सकते हैं और इसके लिए उन्हें काउंसिल आने की जरूरत नहीं है। साफ है कि वित्त मंत्रालय इस बारे में अपना रुख तय कर चुका है। वर्तमान परिस्थितियों में ऐसा लगता है कि भाजपा शासित राज्य क्षतिपूर्ति के लिए आरबीआइ से कर्ज लेने की शुरुआत कर देंगे।