हाईवे के निर्माण में डिजाइन मानकों का घोर उल्लंघन
सरकार ने राजमार्गो के निर्माण से जुड़ी केंद्रीय व प्रादेशिक एजेंसियों से 2010 में जारी डिजाइन व सड़क सुरक्षा संबंधी मानकों का कड़ाई से पालन करने को कहा है। इन मानकों को देखने से पता चलता है कि ज्यादातर हाईवे के निर्माण में इनकी घोर अनदेखी की गई है। रिपोर्ट
संजय सिंह, नई दिल्ली। सरकार ने राजमार्गो के निर्माण से जुड़ी केंद्रीय व प्रादेशिक एजेंसियों से 2010 में जारी डिजाइन व सड़क सुरक्षा संबंधी मानकों का कड़ाई से पालन करने को कहा है। इन मानकों को देखने से पता चलता है कि ज्यादातर हाईवे के निर्माण में इनकी घोर अनदेखी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार कई लेन वाले सभी राजमार्गो में कम ऊंचाई के डिवाइडर (मीडियन) की चौड़ाई 12 मीटर होनी चाहिए। इसके दोनों किनारों पर धातु की पनालीदार अवरोधक रेलिंग (डब्ल्यू-बीम मेटल क्रैश बैरियर) लगाई जानी चाहिए।
शहरी इलाकों में दो मीटर तक चौड़े मीडियन में जर्सी कंक्रीट बैरियर के साथ चकाचौंधरोधी (एंटी ग्लेयर) स्क्रीन लगाए जाने चाहिए। इन इलाकों में हाईवे पर लेन की चौड़ाई साढ़े तीन मीटर होनी चाहिए। लेकिन जंक्शन के पास 50 मीटर में लेन 3.1 मीटर तक चौड़ी भी हो सकती हैं।
क्रैश बैरियर्स और यातायात मार्ग के बीच डेढ़ मीटर की सतत दूरी जरूरी है। हाईवे के किनारे/मध्य में एक मीटर या अधिक गहराई वाले नालों पर कंक्रीट अथवा स्टील की सिल्लियां पाटी जानी चाहिए। नालों के दोनो ओर डब्ल्यू-बीम मेटल क्रैश बैरियर जरूरी हैं। हाईवे के किनारे तीन मीटर से ऊंची दीवार/कटान होने पर वहां डब्ल्यू बीम मेटल क्रैश बैरियर लगाना जरूरी हैं। हाईस्पीड हाईवे/एक्सप्रेसवे में राहत/बचाव कार्यो के लिए 1:4 से कम अनुपात वाले ढलान (स्लोप) होने चाहिए।
स्थानीय यातायात को अलग रखने के लिए हाईवे के दोनों ओर सात मीटर (न्यूनतम 5.5 पांच मीटर) चौड़ी रेलिंगदार सर्विस रोड बनाई जानी चाहिए। साथ ही वाहनों, पैदल यात्रियों व पशुओं के लिए अंडरपास बनाए जाने चाहिए। जहां सर्विस रोड जरूरी न हो, वहां हाईवे के दोनो ओर अतिरिक्त चौड़े पेव्ड शोल्डर बनाएं जाएं। सर्विस रोड पर ट्रक/वाहन पार्क करने के लिए पर्याप्त जगह छोड़ी जाए।
पैदल यात्री : सर्विस रोड के किनारे पर्याप्त फुटपाथ व मजबूत रेलिंग के अलावा उपयुक्त जगहों पर फूट ओवरब्रिज/अंडरपास होने चाहिए। अंडरपास की चौड़ाई कम से कम सात मीटर व ऊंचाई साढ़े तीन मीटर होनी चाहिए।
बस-बे : उपयुक्त जगहों पर बस-बे बनाए जाने चाहिए। बसों के प्रवेश और निकास के उपयुक्त रास्ते होने चाहिए।
प्रकाश : एफओबी, एफयूबी में कम से कम 40 लक्स की रोशनी के लिए 24 घंटे पावर सप्लाई/सौर ऊर्जा का इंतजाम होना चाहिए।
जंक्शन : चौराहों या जंक्शन पर ग्रेड सेपरेटर (फ्लाईओवर/ओवरब्रिज/अंडरब्रिज) होना जरूरी है।
संकेतक : 750 मीटर या अधिक व्यास वाले सभी घुमावों पर हाईवे के बाहरी व भीतरी किनारों पर परावर्तक शेवरान संकेतक लगाए जाने चाहिए। तीन मीटर से ऊंचे किनारों पर डब्ल्यू बीम क्रैश बैरियर के साथ किनारों का संकेत देने वाले रिफ्लेक्टर लगाए जाने चाहिए। जहां क्रैश बैरियर संभव नहीं हैं, वहां घुमावों पर 1.5 मीटर ऊंचे रिफ्लेक्टर लगाए जाने चाहिए। चौराहों के पास पुल/आरओबी की दीवारों, किनारों व तीखे मोड़ों पर वन-वे रिफ्लेक्टिव रोड स्टड लगाना जरूरी हैं। बस्ती में वाहनों की रफ्तार सीमित रखने के लिए हाईवे पर हॉट एप्लाइड रिट्रो-रिफ्लेक्टिव थर्मो प्लास्टिक की आड़ी पट्टियां डाली जाएं। पुलों, कुओं या तालाबों के पास भी डब्ल्यू मेटल क्रैश बैरियर लगाने जरूरी हैं।