UBS के अनुसार FY21 में -0.4 फीसद रह सकती है देश की GDP ग्रोथ, 40 सालों में सबसे कम
मौजूदा प्रतिबंध मई महीने के मध्य तक बने रह सकते हैं और फिर इन्हें हटाया जा सकता है। इसके साथ ही जून के आखिर तक बड़े स्तर पर गतिविधियां के सामान्य होने की संभावना है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों में अनुमान से काफी ज्यादा गिरावट आई है। इसके साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की तीव्र संभावनाओं के चलते भारतीय अर्थव्यवस्थाा को तगड़ा झटका लगने की आशंका है। यूबीएस का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ -0.4 फीसद रह सकती है। अर्थात मंदी आने का अनुमान है। इस ग्लोबल रिसर्च एंड ब्रोकरेज हाउस ने पहले 2.5 फीसद की वृद्धि का अनुमान लगाया था।
यूबीएस का अनुमान है कि मौजूदा प्रतिबंध मई महीने के मध्य तक बने रह सकते हैं और फिर इन्हें हटाया जा सकता है। इसके साथ ही जून के आखिर तक बड़े स्तर पर गतिविधियों के सामान्य होने की संभावना है। वहीं, दूसरी परिस्थिति में यूएसबी का अनुमान है कि मौजूदा प्रतिबंध जून के आखिर तक जारी रह सकते हैं। इन प्रतिबंधों के हटने के बाद अगस्त के आखिर तक बड़े स्तर पर गतिविधियां सामान्य हो सकती हैं।
यूबीएस ने तीसरी परिस्थिति भी बताई है, जो कि काफी बुरी है। इस परिस्थिति में वायरस कां संक्रमण साल 2021 के मध्य तक जारी रह सकता है। इस परिस्थिति में अगर प्रतिबंध हटने के बाद भी पॉजिटिव मामले आते हैं, तो प्रतिबंधों को फिर से लगाया जा सकता है।
यूबीएस की एक अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने कहा, 'हमारे वैकल्पिक जोखिम परिदृश्यों में जहां व्यवधान अधिक समय तक रह सकते हैं, हम मानते हैं कि कुछ अवधि के लिए आर्थिक कमजोरी में तेजी आ सकती है और जो दूसरा महत्वपूर्ण प्रभाव होगा, उसमें नौकरियों का जाना, आय स्तर का कम होना, कंपनियों का दिवालिया होना और एनपीए बढ़ना आदि शामिल हैं। इस नुकसान की रिकवरी में काफी समय लग सकता है। साथ ही यह भी खतरा है कि भारत की वास्तविक जीडीपी 3-4 फीसद सालाना की दर से गिर सकती है।'