अमेरिकी कंपनी ने घूस देकर भारत में हासिल किया ठेका
न्यू जर्सी की एक कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट फर्म पर भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये घूस देकर दो जल विकास परियोजनाओं का ठेका हासिल करने का आरोप लगाया गया है। ये परियोजनाएं गोवा और गुवाहाटी के लिए थीं। लुई बर्जर ने गोवा की परियोजना के लिए 9.76 लाख डॉलर (लगभग 6 करोड़ रुपये)
वाशिंगटन। न्यू जर्सी की एक कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट फर्म पर भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये घूस देकर दो जल विकास परियोजनाओं का ठेका हासिल करने का आरोप लगाया गया है। ये परियोजनाएं गोवा और गुवाहाटी के लिए थीं।
लुई बर्जर ने गोवा की परियोजना के लिए 9.76 लाख डॉलर (लगभग 6 करोड़ रुपये) की घूस दी। घूस लेने वालों में एक मंत्री के भी शामिल होने का आरोप है। अमेरिका के न्याय विभाग ने इस मामले में और खुलासा नहीं किया है।
कंपनी ने भारत के साथ ही इंडोनेशिया, वियतनाम और कुवैत में कई सरकारी परियोजनाएं हासिल करने लिए भी घूस देने की बात स्वीकार की है। इस मामले में कंपनी 1.71 करोड़ डॉलर (लगभग सौ करोड़ रुपये) का जुर्माना भरने के लिए तैयार हो गई है। कंपनी के दो पूर्व अधिकारियों फिलीपींस के रिचर्ड हर्स (61) और संयुक्त अरब अमीरात के जेम्स मैकक्लंग (59) ने घूस के आरोपों पर अपनी गलती स्वीकार कर ली है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे मैकक्लंग पर भारत और वियतनाम में कंपनी के संचालन की जिम्मेदारी थी। आगामी पांच नवंबर को हर्स और मैकक्लंग को सजा पर सुनवाई होगी।
जापान कर रहा था मदद
भारत सरकार ने जापान की मदद से गोवा में पांच साल की जलापूर्ति और मल निकासी परियोजना के विस्तार पर काम शुरू किया था। लुई बर्जर गोवा की इस परियोजना के लिए बने कंपनियों के गठजोड़ का हिस्सा थी। इसमें दो जापानी और एक भारतीय कंपनी भी शामिल थी।
डायरी में विस्तृत लेखाजोखा
संघीय अभियोजकों का आरोप है कि फर्म ने भारतीय अधिकारियों को दिए रिश्वत का विस्तृत लेखाजोखा डायरी में लिख रखा है। अदालती दस्तावेजों के अनुसार, घूस के लिए कंपनी की डायरी में 'प्रतिबद्धता शुल्क', 'विपणन शुल्क' और 'संचालन व्यय' जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया है। अभियोजकों के अनुसार, कंपनी ने कई सहयोगियों के साथ मिलकर गोवा और गुवाहटी में दो जल विकास परियोजनाएं हासिल कीं। गौरतलब है कि लुई बर्जर के भारत में गुड़गांव, मुंबई, चेन्नई और हैदराबाद में दफ्तर हैं। यह भारत में 1998 से कार्यरत है।