Cabinet Decisions: खाद्यान्नों को जूट के थैलियों में पैक करना हुआ जरूरी, इथेनॉल की कीमतों में 5-8 फीसद की बढ़ोत्तरी
केंद्रीय कैबिनेट ने पेट्रोल में मिलाए जाने वाले इथेनॉल की कीमत में 5-8 फीसद की बढ़ोत्तरी को गुरुवार को अपनी मंजूरी दे दी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस कदम से किसानों को ज्यादा कीमत हासिल हो सकेगी।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। केंद्रीय कैबिनेट ने पेट्रोल में मिलाए जाने वाले इथेनॉल की कीमत में 5-8 फीसद की बढ़ोत्तरी को गुरुवार को अपनी मंजूरी दे दी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस कदम से किसानों को ज्यादा कीमत हासिल हो सकेगी और तेल के आयात में कमी लाने में मदद मिलेगी। पेट्रोल में 10 फीसद इथेनॉल मिलाया जाता है। मंत्री ने कहा कि इस कदम से प्रदूषण पर नियंत्रण में भी मदद मिलेगी क्योंकि इथेनॉल को पर्यावरण के लिहाज से अनुकूल माना जाता है।
केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को ये महत्वपूर्ण फैसले किएः
- जावड़ेकर ने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट ने इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल प्रोग्राम के तहत पब्लिक सेक्टर की तेल विपणन कंपनियों द्वारा इथेनॉल के खरीद से जुड़े मैकेनिज्म को अपनी मंजूरी दे दी।
- केंद्रीय कैबिनेट ने जूट के बोरे में पैकेजिंग की अनिवार्यता से जुड़े नियमों की मियाद बढ़ा दी है। जावड़ेकर ने कहा कि 100% अनाज और 20% चीनी को अनिवार्य रूप से जूट के बोरों में पैक किया जाता रहेगा।
The Union Cabinet has approved the extension of norms for mandatory packaging in Jute materials. 100% of the food-grains & 20% of the sugar to be mandatorily packaged in diversified jute bags: Union Minister Prakash Javadekar pic.twitter.com/e1vNXUJsmB
— ANI (@ANI) October 29, 2020
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- देश में बांधों के पुनर्वास व रखरखाव कार्यक्रम के दूसरे व तीसरे चरण को सरकार ने बुधवार को मंजूरी दे दी। इसमें 19 राज्यों के 736 बांधों को चयनित किया गया है, जिन्हें अगले 10 सालों में पूरा कर लिया जाएगा। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के इस प्रस्ताव को आज कैबिनेट की मुहर लग गई है। इसे पूरा करने में 10 हजार करोड़ रूपए से अधिक की लागत आएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की बैठक में लिया गया।
- इस बारे में लिए गए फैसलों की जानकारी देने पहुंचे केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने बताया कि इस कार्यक्रम की लागत का 86 फीसद हिस्सा बांधों के पुनर्वास व रखरखाव पर व्यय किया जाएगा। इस कार्यक्रम पर आने वाली लागत का 80 फीसद हिस्सा विश्व बैंक और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक से प्राप्त होगा। शेखावत ने बताया कि बांधों की संख्या में चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरे नंबर पर है। यहां फिलहाल 5334 बांध हैं, जबकि 411 बांध निर्माणाधीन हैं।
इन बांधों में 80 फीसदी बांध 25 साल और उससे ज्यादा पुराने हैं। जिन वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल उनके रख रखाव में चाहिए उसकी कैपेसिटी बिल्डिंग की जरूरत महसूस की जाती रही है। बांध बाढ़ नियंत्रण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। देश में 100 साल पुराने बांध भी चल रहे हैं, लेकिन उनकी हालत बहुत संतोषजनक नहीं हैं। ऐसे बांधों की सुरक्षा को लेकर सरकार की चिंताएं हैं, जिसके लिए यह कार्यक्रम उपयोगी साबित हो सकता है।
बांधो से सिंचाई, बिजली उत्पादन और पेयजल आपूर्ति तो की ही जाती है। इसके अलावा बाढ़ नियंत्रण में भी इनकी अहम भूमिका होती है। बांधो की सुरक्षा में चूक होने से जानमाल की भारी क्षति हो सकती है। पुराने पड़ चुके बांधो में जोखिम भी कम नहीं है। कैबिनेट की बैठक में इस बात पर भी विचार किया गया कि इन बांधो के जलाशयों से जल आधारित पर्यटन और मछली पालन जैसे उद्यम से राजस्व प्राप्त किया जा सकता है।