Move to Jagran APP

Union Budget 2020: इन 4 बजट पर होती है सबसे ज्यादा चर्चा, आप भी जानिए क्या थीं वजहें

कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने वित्त वर्ष 1991-92 का केंद्रीय बजट पेश किया था।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 05:30 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 08:39 AM (IST)
Union Budget 2020: इन 4 बजट पर होती है सबसे ज्यादा चर्चा, आप भी जानिए क्या थीं वजहें
Union Budget 2020: इन 4 बजट पर होती है सबसे ज्यादा चर्चा, आप भी जानिए क्या थीं वजहें

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Modi Government 2.0 का दूसरा बजट एक फरवरी को पेश होगा। बजट से देश की आर्थिक सेहत और तस्वीर को देखने में मदद मिलती है। बजट से लोगों को काफी उम्मीदें होती हैं। आम लोग Income Tax में कटौती के साथ और भी कई तरह के उपायों की उम्मीद करते हैं, वहीं कंपनियां निवेश को लेकर उठाए जाने वालों कदमों का आंकती हैं। इससे सरकार के नीतिगत रुख का पता चलता है। यही वजह है कि देश के आर्थिक मुद्दों में बहुत कम दिलचस्पी लेने वाले लोग भी Budget पर चर्चा करते हैं।

loksabha election banner

आइए जानते हैं कि भारतीय इतिहास के उन चार बजटों के बारे में जिनके बारे में हमेशा चर्चा होती रहती हैः

कलडोर बजट: तात्कालीन वित्त मंत्री टी टी कृष्णामाचारी ने वित्त वर्ष 1957-58 का यह बजट पेश किया था। इस बजट को 15 मई, 1957 को पेश किया गया गया था। यह केंद्रीय कई लिहाज से बहुत अहम था। वित्त वर्ष 1957-58 के बजट में कई बड़े फैसले लिए गए। इन फैसलों का सकारात्मक और नकारात्मक असर कालांतर में देखने को मिला। इस बजट में Non-Core Projects के लिए आबंटन को वापस लेने का ऐलान किया गया था। इसमें वेल्थ टैक्स लगाया गया था तथा एक्साइज ड्यूटी में 400 फीसद की जबरदस्त वृद्धि की गई थी। 

द ब्लैक बजटः वित्त वर्ष 1973-74 का बजट तात्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव बी चह्वाण ने पेश किया था। चव्हाण द्वारा पेश बजट में साधारण बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कॉरपोरेशन और कोल माइन्स के राष्ट्रीयकरण के लिए फंड आबंटित किए गए। इस मद में बजट में 56 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। इस वित्त वर्ष में बजट में अनुमानित घाटा 550 करोड़ रुपये रहा था। हालांकि, कोयले की खदानों के नेशनलाइजेश का जबरदस्त प्रभाव देखने को मिला एवं सरकार ने कोयले के कारोबार को पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले लिया। इसीलिए इसे ब्लैक बजट कहते हैं। 

उदारीकरण का सूत्रपातः कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने वित्त वर्ष 1991-92 का केंद्रीय बजट पेश किया था। भारत में जब भी बजट के इतिहास को लेकर चर्चा होगी, इस बजट का जिक्र जरूर होगा। इस बजट में मनमोहन सिंह ने देश की इकोनॉमी को दुनिया के लिए खोल दिया। इस बजट में एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट, लाइसेंसिंग नीति में तमाम सुधारों की घोषणा की गई। 

ड्रीम बजट: तात्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने वित्त वर्ष 1997-98 का बजट पेश किया था। इस बजट को ड्रीम बजट कहा जाता है। इस केंद्रीय बजट में आयकर एवं कॉरपोरेट टैक्स में भारी कटौती की गई थी। इसके अलावा भी कई तरह के ऐसे कदम उठाए गए थे जिसकी वजह से ड्रीम बजट कहा जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.