आज एनसीएलटी के सामने आइएलएंडएफएस का प्लान पेश करेंगे उदय कोटक
इस रोडमैप में तीन विकल्प एनसीएलटी के समक्ष रखे जाएंगे, जिसके बारे में अंतिम फैसला सरकार को ही करना है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। गहरे वित्तीय संकट में फंसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) आइएलएंडएफएस बचाई जाएगी या बेची जाएगी? प्रख्यात बैंकर उदय कोटक की अध्यक्षता में गठित इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आइएलएंडएफएस) के नए निदेशक बोर्ड ने इसे उबारने का रोडमैप तैयार कर लिया है जिसे एनसीएलटी (नेशलन कंपनी लॉ टिब्यूनल) के समक्ष बुधवार को रखा जाएगा। माना जा रहा है कि इस रोडमैप में तीन विकल्प एनसीएलटी के समक्ष रखे जाएंगे, जिसके बारे में अंतिम फैसला सरकार को ही करना है। सूत्रों के मुताबिक आइएलएंडएफएस जितने बड़े वित्तीय संकट में फंसी हुई है, उसे देखते हुए सरकार के सामने इसे समग्र तौर पर बेचने का विकल्प भी रखा जा सकता है।
आइएलएंडएफएस को फिर से पटरी पर लाने में जुटे नए निदेशक बोर्ड से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अभी नया बोर्ड अपनी तरफ से किसी भी एक विकल्प को अंतिम मानकर नहीं चल रहा है। बोर्ड की मंगलवार को बैठक हुई। बोर्ड के आकलन के मुताबिक कंपनी की पूरी वित्तीय स्थिति का भी पता नहीं चल पाया है। लेकिन यह बात सामने आ चुकी है कि कंपनी का संकट बहुत गहरा है। ऐसे में समूचे आइएलएंडएफएस समूह को एक समग्र इकाई मानते हुए बेचने या उसकी परिसंपत्तियों को अलग-अलग क्षेत्र में विभाजित करके उनकी बिक्री करने का सुझाव दिया जा सकता है। तीसरे विकल्प के तौर पर सरकार की तरफ से कुछ वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने और कुछ संसाधन परिसंपत्तियों की बिक्री करने का प्रस्ताव भी है। तीनों विकल्पों के सकारात्मक पक्ष और इन्हें लागू करने के समक्ष आने वाली चुनौतियों का जिक्र भी इस रिपोर्ट में किया जाएगा। साथ ही नया बोर्ड यह भी बताएगा कि कंपनी की पूरी वित्तीय स्थिति उसके विस्तृत ऑडिट के बाद ही सामने आ सकेगी। ऑडिटिंग का काम अगले 15 दिनों के भीतर पूरा होने की संभावना है।
सूत्रों के मुताबिक आइएलएंडएफएस को एक समग्र इकाई के तौर पर बेचने के विकल्प की अपनी अलग चुनौतियां है। मसलन, इसकी 348 सब्सिडियरियां हैं। इन सभी को एक इकाई में सम्मिलित करते हुए इन्हें बिक्री के लिए पेश करने की अपनी चुनौतियां होंगी। इससे आसान हो सकता है कि कंपनी को हिस्सों में बांटकर बेचना। मसलन, कंपनी की सड़क परियोजनाओं को एक कंपनी में गठित कर उसकी बिक्री करना। अभी कई वित्तीय संस्थान जैसे एसबीआइ, एलआइसी इन कंपनियों को खरीदने की इच्छुक हैं। इसका फायदा यह होगा कि कंपनी के मौजूदा वित्तीय संकट को दूर करने के लिए जल्दी से फंड का इंतजाम हो सकता है। तीसरा विकल्प सरकार की तरफ से कुछ वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना, कुछ हिस्सा एलआइसी व एसबीआइ को बेचना हो सकता है। वित्त मंत्रालय पहले ही यह कह चुका है कि वह इसको कुछ अतिरिक्त पूंजी देने पर विचार कर सकता है।
देश के बुनियादी क्षेत्र को कर्ज देने वाली आइएलएंडएफएस अभी भारी मुसीबत में है। फंड की दिक्कत की वजह से पिछले दो महीनों से यह अपनी देनदारियों का भुगतान भी नही कर पा रही है। देश के सैकड़ों म्यूचुअल फंड्स व अन्य वित्तीय कंपनियों ने इसमें भारी भरकम निवेश फंसा है। इस वजह से देश के समूचे वित्तीय सेक्टर में चिंताएं हैं।
कंपनी के संकट से यह भी स्पष्ट हुआ कि देश में एनबीएफसी क्षेत्र गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है। सरकार ने आइएलएंडएफएस के पुराने प्रबंधन को बर्खास्त करते हुए उदय कोटक की अध्यक्षता में एक नई समिति गठित की है। जो इसकी हालात सुधारने पर आरंभिक रिपोर्ट तैयार कर चुकी है। उधर, आइएलएंडएफएस मामले पर कंपनी मामलों के मंत्रलय (एमसीए) की रिपोर्ट भी तैयार है। एमसीए ने आइएलएंडएफएस की वित्तीय संकट की समय पर पहचान नहीं हो सकने पर गंभीर चिंता जताई है और इन्हें दूर करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं।
ब्याज भुगतान करने में नाकाम रही कंपनी
आइएलएंडएफएस ग्रुप की कंपनी आइएलएंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क ने कहा है कि वह अपने छह नॉन कनवर्टिबल बांड का ब्याज भुगतान करने में फिर से नाकाम रही है। कंपनी को इसका भुगतान 29 और 30 अक्टूबर को करना था। कंपनी को इस मद में कुल 7.11 करोड़ रुपये का भुगतान करना था। इससे पहले वह तीन अक्टूबर को भी ब्याज भुगतान नहीं कर पाई।
निदेशक ने दिया इस्तीफा
इस बीच, आइएलएंडएफएस इंजीनियरिंग सर्विसेज ने कहा है कि उसके चेयरमैन करुणाकरण रामचंद ने निदेशक के तौर पर इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा 29 अक्टूबर से प्रभावी हुआ है।