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हर तीन में से दो भारतीयों ने चीनी उत्पादों से बनाई दूरी, त्योहारी सीजन में लोकल सर्किल्स के सर्वे से सामने आई जानकारी

भारत में चीन के उत्पादों के प्रति लोगों की रुचि काफी हद तक घटी है। वे अब चीनी सामान की जगह स्वदेशी को तरजीह देने लगे हैं। यह जानकारी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल्स द्वारा पिछले हफ्ते किए गए सर्वे से आई है। यह सर्वेक्षण 204 जिलों में किया गया था।

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 08:04 PM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 07:51 AM (IST)
हर तीन में से दो भारतीयों ने चीनी उत्पादों से बनाई दूरी, त्योहारी सीजन में लोकल सर्किल्स के सर्वे से सामने आई जानकारी
इस सर्वे के तहत 14,000 से अधिक ग्राहकों से जानकारी जुटाई गई।

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत में चीन के उत्पादों के प्रति लोगों की रुचि काफी हद तक घटी है। वे अब चीनी सामान की जगह स्वदेशी को तरजीह देने लगे हैं। यह जानकारी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल्स द्वारा पिछले हफ्ते किए गए सर्वे से आई है। दीपावली की खरीदारी के दौरान यह सर्वेक्षण देश के 204 जिलों में किया गया था। इसमें 14,000 से अधिक ग्राहकों से जानकारी जुटाई गई। सोमवार को सर्वेक्षण के जारी आंकड़ों के अनुसार, दीवाली के आसपास खरीदारी सीजन के दौरान 71 फीसद लोगों ने चीन के किसी भी सामान की खरीदारी नहीं की। बावजूद इसके कि चीनी सामान भारत में बने उसी सामान की तुलना में सस्ते थे। 

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इसका मतलब यह है कि भारतीय ग्राहक अब चीनी उत्पादों से दूरी बनाने लगे हैं और वे अब स्वदेशी उत्पादों को तरजीह दे रहे हैं। सर्वे के नतीजे जारी करते हुए लोकल सर्किल्स के चेयरमैन सचिन तापड़िया ने बताया कि पिछले वर्ष दीपावली के दौरान हुए सर्वे में सामने आया था कि 48 फीसद ग्राहकों ने चीनी उत्पादों की खरीदारी की थी। इस वर्ष यह महज 29 फीसद रहा। इसका अर्थ यह है कि भारत में चीनी सामान के खरीदारों की संख्या में करीब 40 फीसद की कमी आई है। 

यह देसी सामानों व इसके स्वदेशी निर्माताओं के लिए राहत की बात है कि घरेलू ग्राहक अब स्थानीय उत्पादों को तरजीह दे रहे हैं। भारत-चीन सीमा पर इस वर्ष जून से जारी तनावों के बाद से भारतीय जनमानस में चीन को लेकर तब से रोष बढ़ रहा है। वे चीनी उत्पादों के बहिष्कार के जरिये रोष प्रकट भी करने लगे हैं।

दूसरी तरफ, भारतीय कंपनियों, खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के सामने यह एक शानदार अवसर है, जिसे भुनाने के लिए उन्हें चीन की तुलना में कम कीमत पर अपने सामान बाजार में उतारने होंगे। लोकल सर्किल्स ने कहा है कि इसमें सरकार की मदद भी अपेक्षित है।


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