सालाना दो लाख कर्मियों की होगी छुट्टी, अगले 3 वर्ष तक IT सेक्टर में जारी रहेगा यह सिलसिला
आइटी उद्योग 39 लाख लोगों को रोजगार देता है
नई दिल्ली (जेएनएन)। आइटी कंपनियों पर अनिश्चितता के बादल गहरा गए हैं। हालात इतने नाजुक हो चले हैं कि लाखों इंजीनियरों के रोजगार पर बन आई है। अगर एक्जीक्यूटिव तलाशने वाली फर्म हेड हंटर्स इंडिया की मानें तो आइटी सेक्टर में अगले तीन साल हर वर्ष दो लाख तक नौकरियों की कटौती होगी। नई टेक्नोलॉजी को अपनाने में पूरी तैयारी नहीं कर पाने के कारण ऐसा होगा।
17 फरवरी को नैस्कॉम इंडिया लीडरशिप फोरम में मैकिंजी एंड कंपनी ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इस रिपोर्ट का विश्लेषण करते हुए हेड हंटर्स इंडिया के संस्थापक व सीएमडी के. लक्ष्मीकांत ने बताया कि मीडिया की रिपोर्टे कहती हैं कि इस साल 56 हजार आइटी पेशेवर नौकरी गंवा सकते हैं। इन रिपोर्टो के उलट वास्तव में यह कटौती सालाना 1.75 लाख से दो लाख के बीच होगी। ऑटोमेशन से जुड़ी नई तकनीकी को अपनाने की तैयारियों में कमी रह जाने के कारण इसका सामना करना पड़ेगा।
मैकिंजी की रिपोर्ट में कहा गया था कि अगले 3-4 वर्षो में आइटी कंपनियों में करीब आधे कर्मचारी ‘अप्रासंगिक’ हो जाएंगे। मैकिंजी इंडिया के एमडी नोशीर काका ने कहा था कि उद्योग के लिए 50-60 फीसद कर्मचारियों को फिर से प्रशिक्षित करने की बड़ी चुनौती होगी। वजह यह है कि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ा बदलाव होगा। आइटी उद्योग 39 लाख लोगों को रोजगार देता है। इनमें से ज्यादातर को दोबारा प्रशिक्षित करना होगा।
लक्ष्मीकांत समझाते हुए बोले कि इन आंकड़ों का विश्लेषण करें तो यह स्पष्ट है कि 30 से 40 फीसद कार्यबल को दोबारा प्रशिक्षित या रीस्किल्ड नहीं किया जा सकता है। मान लें कि आधा कार्यबल पुराने कौशल के साथ काम करना जारी रख सकता हैं। यानी बाकी लोग निर्थक हो जाएंगे। इस तरह अगले तीन वर्षो में जो लोग अनावश्यक हो जाएंगे, उनकी संख्या लगभग पांच से छह लाख होगी। यानी छंटनी का शिकार होने वालों की संख्या अगले तीन वर्षो के दौरान औसतन 1.75 लाख से दो लाख प्रति वर्ष रहेगी। फिलहाल मुंबई या बेंगलुरु जैसे प्रमुख शहरों में नौकरियों में कम कटौती होगी। ज्यादा फर्क कोयंबटूर जैसे शहरों या कुछ दूरदराज के स्थानों में पड़ेगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या नौकरी में कटौती के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीति को दोष देना उचित है, इस पर लक्ष्मीकांत ने कहा कि यह सही नहीं है। उन्होंने चुनाव जीतने के बाद अपना वादा पूरा किया है। भारत सरकार को भी निशाना बनाना अनुचित होगा क्योंकि आइटी उद्योग देश में खुद बढ़ा है। यह और बात है कि बाद के चरणों में संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र सरकारों ने उन्हें जमीन या एसईजेड जैसी सुविधाएं प्रदान कीं।
चल रहीं उलटी हवाएं: भारतीय सॉफ्टवेयर निर्यातकों को विशेष रूप से प्रतिकूल व्यापार वातावरण का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में कठोर वर्क परमिट व्यवस्था से स्थितियां बुरी तरह बिगड़ी हैं।
कटौती की यह भी वजह: एक अन्य फर्म ग्लोबल हंट के एमडी सुनील गोयल ने बताया कि उद्योग में हर तीन से पांच साल में न्यू-एज टेक्नोलॉजीज के कारण ऐसा होता है। लेकिन इस बार ज्यादा असर पड़ने की एक यह भी वजह है कि अमेरिका ने विदेशी आइटी पेशेवरों के लिए अपनी नीतियों को बदल दिया है।