Move to Jagran APP

सरकार ने भी माना पूरी तरह तैयार नहीं ई-वे बिल की तकनीक, लॉन्च डेट बढ़ी

ई-वे बिल तैयार करने में आ रहीं शुरूआती तकनीकी खामियों के चलते सरकार ने ई-वे बिल जेनरेशन के ट्रायल फेज को बढ़ाने का फैसला किया है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Fri, 02 Feb 2018 12:03 PM (IST)Updated: Fri, 02 Feb 2018 12:49 PM (IST)
सरकार ने भी माना पूरी तरह तैयार नहीं ई-वे बिल की तकनीक, लॉन्च डेट बढ़ी
सरकार ने भी माना पूरी तरह तैयार नहीं ई-वे बिल की तकनीक, लॉन्च डेट बढ़ी

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। जीएसटी के ई-वे बिल में आ रहीं तकनीकी खामियों ने अब सरकार के सामने इसकी तारीख बढ़ाए जाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। ई-वे बिल वो दस्तावेज है जो अब ट्रांसपोर्टर्स के लिए 50,000 रुपए से ऊपर की कीमत के अपने सामान को एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंचाने के लिए बनवाना जरूरी होगा।

loksabha election banner

ई-वे बिल तैयार करने में आ रहीं शुरूआती तकनीकी खामियों के चलते सरकार ने ई-वे बिल जेनरेशन के ट्रायल फेज को बढ़ाने का फैसला किया है। यह राज्य के भीतर एवं राज्यों के बीच लागू होगा। सरकार का कहना है कि इस संबंध में इस कानून के पूर्णतया लागू करने की तारीख का जल्द एलान किया जाएगा। ई-वे बिल का उद्देश्य टैक्स चोरी का पता लगाना है।

1 फरवरी से लागू होना था ई-वे बिल: 16 जनवरी से लागू हुए ई-वे बिल के ट्रायल रन के करीब 15 दिन बाद यानी 1 फरवरी को इस बिल को अनिवार्य किया जाना तय हुआ था। इसी दिन आम बजट 2018 भी पेश किया गया। वित्त मंत्री ने अपने आखिरी पूर्णकालिक बजट में उच्च वर्ग और देश के गरीब तबके को राहत दी। उन्होंने आयकर टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया, जिसकी कई लोगों ने उम्मीद लगाई थी।

पहले ही दिन लोगों को हुई समस्या: 1 फरवरी के दिन हजारों ट्रांसपोर्टर्स ने शिकायत की कि उन्हें ई-वे बिल जेनरेट करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ लोगों ने ट्विटर पर शिकायत की कि ई-वे बिल का पोर्टल स्लो चल रहा है या ठीक से काम नहीं कर रहा है। वहीं कुछ लोगों ने अपनी सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी जाहिर कीं।

ई-वे बिल एक नजर में

क्या है ई-वे बिल: अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को ई-वे बिल जनरेट करना होगा। अहम बात यह है कि सप्लायर के लिए यह बिल उन वस्तुओं के पारगमन (ट्रांजिट) के लिए भी बनाना जरूरी होगा जो जीएसटी के दायरे में नहीं आती हैं।

क्या होता है ई-वे बिल में: इस बिल में सप्लायर, ट्रांसपोर्ट और ग्राही (Recipients) की डिटेल दी जाती है। अगर जिस गुड्स का मूवमेंट एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर एक ही राज्य के भीतर हो रहा है और उसकी कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा है तो सप्लायर (आपूर्तिकर्ता) को इसकी जानकरी जीएसटीएन पोर्टल में दर्ज करानी होगी।

कितनी अवधि के लिए वैलिड होता है यह बिल: यह बिल बनने के बाद कितने दिनों के लिए वैलिड होता है, यह भी निर्धारित है। अगर किसी गुड्स (वस्तु) का मूवमेंट 100 किलोमीटर तक होता है तो यह बिल सिर्फ एक दिन के लिए वैलिड (वैध) होता है। अगर इसका मूवमेंट 100 से 300 किलोमीटर के बीच होता है तो बिल 3 दिन, 300 से 500 किलोमीटर के लिए 5 दिन, 500 से 1000 किलोमीटर के लिए 10 दिन और 1000 से ज्यादा किलोमीटर के मूवमेंट पर 15 दिन के लिए मान्य होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.