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ट्रांसपोर्ट संगठनों ने रोकी ट्रकों की खरीद, GST की ऊंची दर और मंदी से है खस्ता हालत

GST की ऊंची दर चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में डीजल पर दो रुपये प्रति लीटर का सेस तथा इंश्योरेंस में बढ़ोतरी जैसे फैसलों के चलते इस वक्त ट्रांसपोर्ट का कारोबार मुश्किलों भरा है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 09:24 AM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 09:25 AM (IST)
ट्रांसपोर्ट संगठनों ने रोकी ट्रकों की खरीद, GST की ऊंची दर और मंदी से है खस्ता हालत
ट्रांसपोर्ट संगठनों ने रोकी ट्रकों की खरीद, GST की ऊंची दर और मंदी से है खस्ता हालत

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश के दो बड़े ट्रांसपोर्ट संगठनों ने ट्रकों की खरीद को फिलहाल विराम दे दिया है। इनमें ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (एआइटीडब्ल्यूए) तथा ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआइएमटीसी) शामिल हैं। इनका कहना है कि सेक्टर पर कई तरफ से पड़ रहे दबावों के चलते इस वक्त ट्रांसपोर्ट का कारोबार व्यवहार्य नहीं रह गया है। इसलिए इनके सदस्यों ने अभी एक भी ट्रक नहीं खरीदने का फैसला किया है।

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संगठनों का कहना है कि जीएसटी की ऊंची दर, चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में डीजल पर दो रुपये प्रति लीटर का सेस तथा इंश्योरेंस में बढ़ोतरी जैसे फैसलों के चलते इस वक्त ट्रांसपोर्ट का कारोबार बेहद मुश्किलों भरा है। कई ट्रक कारोबारियों के सामने तो अपने कर्ज पर डिफॉल्ट करने का खतरा बढ़ गया है।

एआइटीडब्ल्यूए के प्रेसिडेंट महेंद्र आर्या ने कहा कि हमारे सदस्यों ने मिलकर यह फैसला लिया है, क्योंकि ट्रांसपोर्ट का कारोबार अभी मुश्किल वक्त से गुजर रहा है। यह कारोबार अब किसी भी तरीके से लाभकारी नहीं रहा। उन्होंने कहा कि अगस्त से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु समेत सभी प्रमुख शहरों में एसोसिएशन के सदस्यों ने ट्रक नहीं खरीदने का निश्चय किया है।

एआइएमटीसी के पूर्व प्रेसिडेंट और कोर कमेटी के चेयरमैन बाल मल्कित सिंह ने कहा कि इस वक्त कोई भी नया वाहन नहीं खरीद रहा है। उद्योग अभी संकट और मंदी के दौर से गुजर रहा है। हमारे कई सदस्य समान मासिक किस्त (ईएमआइ) के भुगतान में विफल रहे हैं। विभिन्न शहरों में हमारे सदस्य इस वक्त बैंकों से आग्रह कर रहे हैं कि वे कर्ज के भुगतान की समय-सीमा में थोड़ी ढील दें, ताकि संकट टलते ही हम उन्हें वापस भुगतान कर सकें। उनका यह भी कहा था कि ट्रक को सिगरेट, पान मसाला और लक्जरी कारों वाले सिन गुड्स की 28 फीसद जीएसटी कैटेगरी में रखना कहीं से तर्कसंगत नहीं है। एआइटीडब्ल्यूए का दावा है कि देश की शीर्ष 500 ट्रांसपोर्ट कंपनियां उसकी सदस्य हैं।

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