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चीन के साथ व्यापार घाटा फिर बढ़ा, आयात में 66.63 फीसद की बढ़ोतरी, निर्यात में मात्र 21.94 फीसद का इजाफा

पिछले वित्त वर्ष में चीन से भारत का व्यापार घाटा कम होकर 44.02 अरब डालर रह गया। वित्त वर्ष 2019-20 में यह 48.64 अरब डालर और 2018-19 में 53.57 अरब डालर का था। चालू वित्त वर्ष में चीन से होने वाले लगभग सभी प्रकार के आयात में इजाफा हुआ है।

By NiteshEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 09:40 AM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 09:40 AM (IST)
चीन के साथ व्यापार घाटा फिर बढ़ा, आयात में 66.63 फीसद की बढ़ोतरी, निर्यात में मात्र 21.94 फीसद का इजाफा
Trade deficit with China widened again imports increased by 66 63 percent

राजीव कुमार, नई दिल्ली। पिछले दो साल से चीन के साथ घट रहे व्यापार घाटे का रुख एक बार फिर पलटने लगा है। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीने (अप्रैल-जुलाई, 2021) में चीन से होने वाले आयात में 66.63 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं इस अवधि में चीन होने वाले निर्यात में सिर्फ 21.94 फीसद का इजाफा रहा। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के मुताबिक पहले चार महीने में ही भारत का चीन से व्यापार घाटा 20 अरब डालर हो चुका है। भारत ने इस साल अप्रैल-जुलाई में चीन से 27.6 अरब डालर मूल्य का आयात किया, जबकि चीन को सिर्फ 7.2 अरब डालर का निर्यात किया। चालू वित्त वर्ष का व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2019-20 के आंकड़े को आसानी से पार कर लेने का अनुमान है, क्योंकि इस अवधि में चीन से भारत का व्यापार घाटा 53.57 अरब डालर था।

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पिछले वित्त वर्ष में चीन से भारत का व्यापार घाटा कम होकर 44.02 अरब डालर रह गया। वित्त वर्ष 2019-20 में यह 48.64 अरब डालर और 2018-19 में 53.57 अरब डालर का था। चालू वित्त वर्ष में चीन से होने वाले लगभग सभी प्रकार के आयात में इजाफा हुआ है। लेकिन खाद, केमिकल्स, आटो पा‌र्ट्स, इलेक्टि्रकल्स मशीन व पा‌र्ट्स, प्लास्टिक, अपैरल निर्माण से जुड़ी विभिन्न वस्तुएं व विभिन्न प्रकार के धातु प्रमुख रूप से शामिल हैं जिनके आयात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 50 फीसद से अधिक का इजाफा है।

विदेश व्यापार विशेषज्ञों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में वस्तुओं के निर्यात में अब तक की सबसे अधिक बढ़ोतरी चल रही है और निर्यात होने वाली वस्तुओं के उत्पादन में बढ़ोतरी की वजह से अधिक आयात किया जा रहा है। इस साल जून से भारत की सप्लाई व्यवस्था भी धीरे-धीरे सुचारू होने लगी और उसके बाद से घरेलू खपत में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस वजह से भी चीन से होने वाले आयात में बढ़ोतरी है। हालांकि पिछले साल कोरोना महामारी की शुरुआत से ही सरकार ने सप्लाई चेन के लिए चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने की कवायद शुरू कर दी थी और उस दिशा में प्रोडक्शन ¨लक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) से लेकर कई अन्य फैसले किए गए।

विशेषज्ञों के मुताबिक चीन पर निर्भरता खत्म करने में अभी दो-तीन साल लगेंगे। अभी भारत एसी, एलईडी लाइट्स, आटो पा‌र्ट्स के लिए मुख्य रूप से आयात पर निर्भर करता है और इस आयात में अधिक हिस्सेदारी चीन की है। विदेश व्यापार विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा नहीं है कि इस साल अप्रैल-जुलाई में सिर्फ चीन से आयात में बढ़ोतरी हुई है। इस अवधि में भारत के कुल आयात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 90 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय के लिए आयात में बढ़ोतरी ¨चता का विषय हो सकता है, लेकिन पिछले साल मार्च के बाद से इस साल अप्रैल-मई तक वैश्विक मांग के साथ घरेलू मांग प्रभावित रही। मुख्य रूप से जून से वस्तुओं के आयात में बढ़ोतरी शुरू हुई है जो कहीं न कहीं अर्थव्यवस्था में तेजी को दर्शाता है।

खाद--220.56 फीसदवाहनों के पा‌र्ट्स--100.02 फीसदइलेक्टि्रकल मशीनरी व पा‌र्ट्स--75.63 फीसदगारमेंट निर्माण से जुड़े आइटम--65.53 फीसदतांबा व इससे जुड़ी वस्तुएं--111.57 फीसदप्लास्टिक व निर्मित चीजें--168.49 फीसदफुटवियर व जुड़े आइटम--125.24 फीसद

मैन-मेड फिलामेंट्स--277.19 फीसद

स्रोत : वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय

अवधि : पिछले वर्ष अप्रैल-जुलाई के मुकाबले इस वर्ष समान अवधि में


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