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अडानी ग्रुप के साथ भारतीय एनर्जी मार्केट में उतरी टोटल, संयुक्त उपक्रम बनेगा

फ्रांस की दिग्गज एनर्जी कंपनी टोटल ने अंतत: भारत के एनर्जी रिटेल में उतरने की अपनी योजना का खाका पेश कर दिया है।

By Pramod Kumar Edited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 08:58 AM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 09:40 AM (IST)
अडानी ग्रुप के साथ भारतीय एनर्जी मार्केट में उतरी टोटल, संयुक्त उपक्रम बनेगा
अडानी ग्रुप के साथ भारतीय एनर्जी मार्केट में उतरी टोटल, संयुक्त उपक्रम बनेगा

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। फ्रांस की दिग्गज एनर्जी कंपनी टोटल ने अंतत: भारत के एनर्जी रिटेल में उतरने की अपनी योजना का खाका पेश कर दिया है। बुधवार को कंपनी ने एनर्जी क्षेत्र में बेहद तेजी से उभरते अडानी समूह के साथ करार का एलान किया है। इस समझौते के मुताबिक दोनो कंपनियां संयुक्त तौर पर देश के एनर्जी कारोबार के कई क्षेत्रों में उतरने की मंशा रखते हैं। चूंकि टोटल दुनिया की सबसे बड़ी एलएनजी कंपनी है इसलिए निश्चित तौर पर वह भारत में भी इस क्षेत्र में जोर लगाएगी। लेकिन उसने गैस वितरण व दूसरे ईंधनों के वितरण में भी उतरने के संकेत दिए हैं।

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एलएनजी सेक्टर के बारे में टोटल व अडानी ने अगले दस वर्षो में भारत की सबसे बड़ी कंपनी बनने का लक्ष्य रखा है। इन्होंने साथ मिलकर भारत के पूर्वी तट पर एक बड़ा एलएनजी टर्मिनल स्थापित करने की भी बात कही है। माना जा रहा है कि ये धामरा एलएनजी को संयुक्त तौर पर विकसित करेंगे। 10 वर्षो में 1500 रिटेल स्टेशन बनाने की भी बात कही गई है। इसके लिए अलग से एक संयुक्त उद्यम स्थापित किया जाएगा जिसका उद्देश्य देश के मुख्य राजमार्गो के करीबी क्षेत्र में फ्यूल स्टेशन खोलना होगा।

निवेशकों के लिए रोडशो

इस बीच सरकार ने दूसरे चरण के रणनीतिक तेल भंडारण में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए रोड शो शुरू किया है। इस भंडारण पर 11,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा।

कच्चे तेल की कीमत वाजिब स्तर पर रखे ओपेक

भारत ने तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक से तेल व गैस की कीमत वाजिब स्तर पर रखने के लिए प्रयास करने का अनुरोध किया है। कच्चे तेल के मूल्य में हाल की तेजी से बाजार के फंडामेंटल और उपभोक्ता देशों पर बुरा असर पड़ रहा है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने यहां चल रही तेल क्षेत्र की इंटरनेशनल कान्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने ओपेक के महासचिव मोहम्मद सनूसी बारकिंडो से बात की है और कच्चे तेल की तेजी पर चिंता जतायी। उन्होंने ओपेक प्रमुख को मौजूदा मूल्य वृद्धि पर आयातक देशों के नजरिये के बारे में बताया। भारत जैसे आयात निर्भर देशों पर अत्यंत बुरा असर पड़ रहा है। 


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