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तिक्बत बन सकता है भारत-चीन के कारोबार का मार्ग

चीनी प्रधानमंत्री ली कछ्यांग ने अपने विशाल बाजार को भारतीय उत्पादों के लिए खोलने का वादा किया है। द्विपक्षीय कारोबार में बढ़ोतरी जारी रखने के लिए चीन की ओर से इस तरह की पहल अब जरूरी भी हो गई है, क्योंकि भारत का बेतहाशा तेजी से बढ़ता व्यापार घाटा आपसी कारोबार की रफ्तार थाम सकता है। चीनी जानकारों के मुताबिक

By Edited By: Published: Thu, 23 May 2013 08:19 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
तिक्बत बन सकता है भारत-चीन के कारोबार का मार्ग

बीजिंग। चीनी प्रधानमंत्री ली कछ्यांग ने अपने विशाल बाजार को भारतीय उत्पादों के लिए खोलने का वादा किया है। द्विपक्षीय कारोबार में बढ़ोतरी जारी रखने के लिए चीन की ओर से इस तरह की पहल अब जरूरी भी हो गई है, क्योंकि भारत का बेतहाशा तेजी से बढ़ता व्यापार घाटा आपसी कारोबार की रफ्तार थाम सकता है।

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चीनी जानकारों के मुताबिक कारोबार में बढ़ोतरी के लिए तिब्बत दोनों देशों के व्यापार मार्ग का काम कर सकता है। चीन के वाणिज्य मंत्रलय से जुड़े एक थिंक टैंक के शोधकर्ता वांग रुई के मुताबिक चीन दोनों देशों को जोड़ने के लिए तिब्बत में नए व्यापक आर्थिक सहयोग क्षेत्र स्थापित करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। इन क्षेत्रों के जरिये वर्ष 2015 तक भारत और चीन के बीच 100 अरब डॉलर का कारोबार किया जा सकता है।

चाइनीज एकेडमी ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन के शोधकर्ता वांग ने कहा कि दोनों देशों के कारोबार की सबसे बड़ी बाधा व्यापार असंतुलन ही है। बुधवार को ही समाप्त हुए चीनी प्रधानमंत्री कछ्यांग के भारत दौरे में दोनों देशों का व्यापार असंतुलन का मसला हावी रहा था। इस दौरान उन्होंने भारतीय उत्पादों के लिए चीनी बाजार को खोलने का वादा किया।

हालांकि भारतीय अधिकारी व्यापार के मार्ग के रूप में सिक्किम के नाथूला को अहम बताया है। अधिकारियों का कहना है कि पश्चिम बंगाल के कलिमपोंग का जीप ला क्षेत्र भी द्विपक्षीय कारोबार के लिए एक नया अहम मार्ग बन सकता है। मुंबई में भारत-चीन वाणिज्यिक सम्मेलन के दौरान कछ्यांग ने कहा था कि द्विपक्षीय कारोबार और निवेश की रफ्तार बढ़ाने के लिए समाधान मौजूद हैं।

भारत और चीन व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर माहौल तैयार करने पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। भारत में निवेश बढ़ाने के लिए काफी संभावनाएं मौजूद हैं और चीन भारत से साथ व्यापार असंतुलन दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। चीन अपनी कंपनियों को भारत और अन्य देशों में निवेश के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहा है। भारतीय कंपनियों के लिए चीनी बाजार को और ज्यादा खोला जाएगा, ताकि व्यापार असंतुलन की समस्या दूर की जा सके।


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