आवासीय संपत्ति की पुनर्खरीद पर कैपिटल गेन टैक्स से छूट पर होगी 10 करोड़ की सीमा, वित्त मंत्री ने की घोषणा
केंद्र सरकार ने बुधवार को पेश बजट में लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में डिडक्शन के लिए 10 करोड़ की सीमा तय कर दी है। आयकर अधिनियम की धारा 54 और 54एफ के अंतर्गत यह सीमा आवासीय संपत्ति में पुनर्निवेश के मामले में करदाता पर लागू होगी।
नई दिल्ली, पीटीआई। केंद्र सरकार ने बुधवार को पेश बजट में लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में डिडक्शन के लिए 10 करोड़ की सीमा तय कर दी है। आयकर अधिनियम की धारा 54 और 54एफ के अंतर्गत यह सीमा आवासीय संपत्ति में पुनर्निवेश के मामले में करदाता पर लागू होगी। यह दोनों धाराएं लांग टर्म आवासीय या अन्य संपत्ति की बिक्री से प्राप्त धनराशि के आवासीय संपत्ति में पुननिर्वेश से संबंधित हैं।
अधिक छूट लेने की प्रवृत्ति
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि कर रियायतों और छूट के संबंध में मैं आवासीय संपत्ति से होने वाले पूंजी लाभ के डिडक्शन को धारा 54 और 54एफ के तहत 10 करोड़ रुपये तक सीमित करने का प्रस्ताव करती हूं। वित्त विधेयक के मसौदे के अनुसार यह नया प्रविधान हाई नेट वर्थ वाले करदाताओं द्वारा अत्यधिक महंगी आवासीय संपत्ति खरीदने के बाद बहुत अधिक छूट लिए जाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने की दिशा में एक कदम है।
अभी यह है व्यवस्था
धारा 54 और 54 एफ के तहत करदाता लंबी अवधि वाली किसी संपत्ति की बिक्री के बाद खरीदी गई संपत्ति पर कैपिटल गेन से छूट का लाभ लेते हैं। धारा 54 के तहत किसी आवासीय संपत्ति की बिक्री से मिले धन से कोई आवासीय संपत्ति खरीदने पर लांग टर्म कैपिटन गेन से छूट मिलती है। वहीं धारा 54एफ में आवासीय संपत्ति के अतिरिक्त अन्य संपत्ति की बिक्री पर तब लांग कैपिटन गेन पर छूट मिलती है जब कुल विक्रय राशि से आवासीय संपत्ति खरीदी जाती है। बिल का मसौदा कहता है कि इन दोनों धाराओं का प्राथमिक उद्देश्य आवासों की भारी कमी को दूर करना और आवास निर्माण को गति देना था।
धाराओं का मूल उद्देश्य नहीं हो रहा है पूरा
यह देखने आ रहा है कि हाई नेट वर्थ वाले करदाताओं द्वारा इन धाराओं के तहत लांग टर्म कैपिटल गेन से भारी छूट ली जा रही है। इससे इन धाराओं का मूल उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। नए प्रविधान में यह भी व्यवस्था की गई है कि यदि नई संपत्ति की कीमत 10 करोड़ रुपये से अधिक है तो संपत्ति की कीमत दस करोड़ रुपये मान ली जाएगी। बजट दस्तावेज के अनुसार आयकर अधिनियम में यह बदलाव एक अप्रैल 2024 से लागू होंगे और कर निर्धारण वर्ष 2024-25 और आगे के वर्षों में प्रभावी होंगे।
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