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इलेक्ट्रॉनिक कृषि बाजार पर है विश्वास का संकट, बड़े किसानों तक रह जाती है सारी सहायता: कृषि मंत्री

2022 तक प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप किसानों की आमदनी को दोगुना करने की दिशा में काम हो रहा है। छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने पर जोर दिए जाने की जरूरत है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 09:19 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 10:50 AM (IST)
इलेक्ट्रॉनिक कृषि बाजार पर है विश्वास का संकट, बड़े किसानों तक रह जाती है सारी सहायता: कृषि मंत्री
इलेक्ट्रॉनिक कृषि बाजार पर है विश्वास का संकट, बड़े किसानों तक रह जाती है सारी सहायता: कृषि मंत्री

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कृषि उपज को बाजार मुहैया कराने के लिए शुरू किया गया इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-नाम) विश्वास के संकट से जूझ रहा है। इस पर चिंता जताते हुए केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश के छोटे किसानों में इसके प्रति भरोसा पैदा करने की जरूरत है। किसानों के हित में शुरू किया गया ऑनलाइन कृषि बाजार आम किसानों का प्लेटफॉर्म नहीं बन पा रहा है।

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कृषि मंत्री तोमर मंगलवार को ई-नाम में एग्री लॉजिस्टिक्स को मजबूत बनाने पर आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘कृषि क्षेत्र की दोषपूर्ण नीतियों के चलते देश में छोटे व बड़े किसानों के बीच की खाई बहुत बढ़ गई है। एक ओर संसाधन संपन्न किसान हैं, जो हर तरह का लाभ उठाने में सक्षम हैं। दूसरी ओर सरकारी अमला भी अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए उन्हीं की मदद करता है।सारी सहायता उन्हें ही परोस दी जाती है।’

कृषि मंत्री ने इस तरह की सोच को बदलने और कृषि क्षेत्र में पैदा हुए वर्गवाद को समाप्त की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘छोटे किसानों तक पहुंच होने पर ही कृषि क्षेत्र की विकास दर बढ़ेगी, जिससे आर्थिक विकास के लक्ष्य को हम जल्दी छू लेंगे।’

2022 तक प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप किसानों की आमदनी को दोगुना करने की दिशा में काम हो रहा है। छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने पर जोर दिए जाने की जरूरत है। तोमर ने कहा, ‘कृषि क्षेत्र की मजबूती व ग्रामीण अर्थव्यवस्था हिंदुस्तान की ताकत है।

हम इसी के भरोसे दुनिया में अपनी आवाज बुलंद कर सकते हैं। कृषि क्षेत्र के दोनों भागों किसान और भूमिहीन मजदूर के उत्थान के लिए काम करना होगा। खेती पर निर्भर इन खेतिहर मजदूरों की दशा पर भी विचार करने की जरूरत है।’


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