आलू, प्याज को कोल्ड स्टोरेज में रखने की घटेगी लागत, किसानों की बढ़ेगी कमाई
सरकार इररेडिएशन यूनिट की संख्या बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इररेडिएशन यूनिट में खाद्य पदार्थ को सिर्फ गामा-रे से होकर गुजारा जाता है। इस विकरण का कोई प्रभाव खाद्य पदार्थ पर नहीं पड़ता बल्कि वह सूक्ष्म जीवों और कीटाणुओं से सुरक्षित हो जाता है। संग्रहण करने की अवधि बढ़ जाती है। संग्रहण के दौरान उसके स्वाद या बनावट में कोई बदलाव नहीं आता।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक और प्रयास करते हुए केंद्र सरकार का जोर अब खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को अधिक प्रोत्साहन देने पर भी है। इसके तहत ही खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने देश में इररेडिएशन यूनिटों (विकिरण इकाइयों) की संख्या बढ़ाने का निर्णय किया है।
इन इकाइयों में गामा-रे से उपचारित कृषि उपजों व खाद्य पदार्थों को सुरक्षित संग्रहित करने की अवधि बढ़ जाएगी, साथ ही किसी भी तरह के रसायन से मुक्त इन पदार्थों को शीतगृह आदि में रखने की लागत कम आने का लाभ भी किसानों को मिलेगा। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने हाल ही में देश में 50 नई इररेडिएशन यूनिट लगाने की घोषणा की है। इसके लिए निजी कंपनियों से प्रस्ताव मांगे गए हैं।
एटोमिक एनर्जी विभाग के अधीन संचालित भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर के साथ काम कर रहा है। भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर इस तकनीक पर कई वर्षों से काम कर रहा है।
वर्ल्ड फूड इंडिया में आए भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर, ट्रांम्बे मुम्बई के प्रतिनिधि ने बताया कि इररेडिएशन यूनिट में खाद्य पदार्थ को सिर्फ गामा-रे से होकर गुजारा जाता है। इस विकरण का कोई प्रभाव खाद्य पदार्थ पर नहीं पड़ता, बल्कि वह सूक्ष्म जीवों और कीटाणुओं से सुरक्षित हो जाता है। संग्रहण करने की अवधि बढ़ जाती है। संग्रहण के दौरान उसके स्वाद या बनावट में कोई बदलाव नहीं आता।
इसके साथ ही पदार्थ को कोल्ड स्टोरेज आदि में संग्रहित करने की लागत घट जाती है। जैसे आलू को यदि पांच-छह डिग्री तापमान पर संग्रहित करने की आवश्यकता होती है तो उसी पदार्थ को विकरण के बाद 14-15 डिग्री तापमान पर भी संग्रहित किया जा सकता है। इससे बिजली की बहुत बचत होती है।
भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर के प्रतिनिधि ने बताया कि भविष्य में इकाइयों की संख्या 500 तक पहुंचाने का लक्ष्य है। उल्लेखनीय है कि 2000 से 2024 तक देश में सिर्फ 28 इररेडिएशन इकाइयां ही स्थापित हो सकी हैं।
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