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धोखा: निवेशकों के पैसे से खरीदे महंगे बंगले और गाड़ियां

नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) घोटाले के आरोपियों ने निवेशकों के धन का इस्तेमाल न सिर्फ अय्याशी के लिए किया बल्कि इसे खुद की राशि समझ इससे अपनी संपत्तियों में इजाफा कर लिया। मनीलांडिंग के जरिये उन्होंने महंगी गाड़ियां, पॉश इलाके में बंगले, महंगे प्लॉट और समुद्र किनारे स्थित होटलों की हिस्सेदारी खरी

By Edited By: Published: Mon, 05 May 2014 09:13 AM (IST)Updated: Mon, 05 May 2014 09:17 AM (IST)
धोखा: निवेशकों के पैसे से खरीदे महंगे बंगले और गाड़ियां

नई दिल्ली। नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) घोटाले के आरोपियों ने निवेशकों के धन का इस्तेमाल न सिर्फ अय्याशी के लिए किया बल्कि इसे खुद की राशि समझ इससे अपनी संपत्तियों में इजाफा कर लिया।

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मनीलांडिंग के जरिये उन्होंने महंगी गाड़ियां, पॉश इलाके में बंगले, महंगे प्लॉट और समुद्र किनारे स्थित होटलों की हिस्सेदारी खरीद ली। जबकि कायदे से उन्हें निवेशकों को यह राशि लौटानी थी। 5,600 करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालत को सौंपी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एनएसईएल के सदस्य और सबसे बड़े डिफॉल्टर मोहन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और उसकी सब्सिडियरी इकाइयों ने पूर्व नियोजित योजना के तहत निवेशकों की राशि का दुरुपयोग किया। यह निवेशकों के साथ न सिर्फ धोखाधड़ी है बल्कि अपराध भी है। जांच के दौरान ईडी को इस बात के पक्के सुबूत मिले हैं कि कंपनी के प्रमोटर ने खुद के इस्तेमाल के लिए रैंज रोवर जैसी महंगी गाड़ी और आलीशान बंगला खरीदा। इसका उसके कारोबार से कोई संबंध नहीं था।

कुछ महीने पहले ही निदेशालय ने मनीलॉडिंग निरोधी कानून के तहत इस फर्म की 125 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की है। निवेशकों ने एक्सचेंज के इस सदस्य के जरिये हाजिर बाजार में चीनी के सौदे किए थे। प्रवर्तन निदेशालय ने जांच में पाया कि एक्सचेंज में सौदे के बाद एनएसईएल द्वारा मोहन इंडिया के सेटलमेंट अकाउंट में जो राशि भेजी गई, उसे उसने अपनी अन्य इकाइयों और विभिन्न लोगों के खातों में ट्रांसफर कर दिया। इसके अलावा इस राशि से कार डीलरों, प्रॉपर्टी डेवलपरों और कंस्ट्रक्शन कंपनियों तक को भुगतान कर दिया गया। इसके दस्तावेजी सुबूत भी ईडी को मिले हैं।

जांच में यह बात सामने आई है कि मोहन इंडिया बगैर चीनी के स्टॉक के ही खरीद-बिक्री के सौदे करती थी। एनएसईएल उसके फंड में चीनी की बिक्त्री का भुगतान तो करता रहा मगर कंपनी ने इसकी कभी डिलीवरी ही नहीं की। इस राशि का उसने अवैध तरीके से रीयल एस्टेट संपत्तियों की खरीद में इस्तेमाल किया।

ब्रोकरों और सदस्यों ने एक्सचेंज के अधिकारियों की मिलीभगत से खामियों का फायदा उठाते हुए इस घोटाले को अंजाम दिया। दरअसल, निवेशकों की जो राशि बकाया है उसका भुगतान ब्रोकरों और सदस्यों को ही एक्सचेंज को करना है जिसे वे नहीं कर रहे हैं। इनकी ओर से भुगतान के बाद ही एक्सचेंज उसे निवेशकों को लौटाएगा। यह घोटाला सामने आने के बाद मोहन इंडिया पर 922 करोड़ रुपये की देनदारी सामने आई थी। इसमें से कुछ का उसने भुगतान कर दिया है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक उस पर अभी भी 600.08 करोड़ रुपये बकाया है। ईडी ने कंपनी की जो संपत्तियां जब्त की है उसमें लखनऊ के गोमती इन्क्लेव स्थित फ्लैट, हरियाणा के करनाल में आठ प्लॉट, मुंबई के बोरीवली में फ्लैट, दिल्ली के मेहरौली, हौजखास, जोरबाग और सैनिक फॉर्म में महंगे प्लॉट शामिल हैं। इसके अलावा तीन रैंज रोवर और एक टोयोटा फॉच्यरूनर भी जब्त की गई है।

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