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AGR पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से टेलीकॉम सेक्टर को तगड़ा झटका, कंपनियों में मची खलबली

सीओएआइ के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने भी कहा है कि एजीआर पर अदालत का यह फैसला वह लाठी है जो टेलीकॉम सेक्टर की कमर तोड़ देगा। (PCPixabay)

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 08:45 AM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 08:45 AM (IST)
AGR पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से टेलीकॉम सेक्टर को तगड़ा झटका, कंपनियों में मची खलबली
AGR पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से टेलीकॉम सेक्टर को तगड़ा झटका, कंपनियों में मची खलबली

नई दिल्ली, एजेंसियां। एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले से पूरे टेलीकॉम सेक्टर में खलबली मच गई है। टेलीकॉम उद्योग की शीर्ष संस्था सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआइ) ने कहा है कि उद्योग पहले से ही चार लाख करोड़ रुपये के कर्ज तले दबा हुआ है। ऐसे में यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के इस झटके से उद्योग जगत उबर पाएगा या नहीं।

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टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल का कहना है कि शीर्ष अदालत के इस फैसले से उद्योग की व्यवहार्यता ही खत्म हो जाएगी। वहीं, वोडाफोन आइडिया का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने की संभावनाओं पर विचार करेगी। हालांकि फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कह दिया है कि अब इस मामले पर कोई और मुकदमेबाजी नहीं होगी।

फैसले पर निराशा जाहिर करते हुए भारती एयरटेल ने कहा, ‘टेलीकॉम सेवा प्रदाता (टीएसपी) कंपनियों ने सेक्टर को स्थापित करने पर अरबों रुपये खर्च किए हैं। वे अपने ग्राहकों को विश्वस्तरीय सेवा मुहैया करा रही हैं। यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब पूरा सेक्टर वित्तीय दबाव में है। इस फैसले से पूरे सेक्टर की व्यवहार्यता पर बुरा असर पड़ेगा।’ एयरटेल का कहना था कि जिन 15 टेलीकॉम कंपनियों पर इस फैसले का असर होना है, उनमें से इस वक्त निजी क्षेत्र में सिर्फ दो कंपनियां परिचालन में रह गई हैं।

वहीं, वोडाफोन आइडिया ने चेताया है कि गुरुवार के इस फैसले से सेक्टर की राजस्व आय पर दूरगामी असर होंगे। कंपनी ने यह भी कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका की संभावनाओं पर विचार करेगी। एक बयान में कंपनी ने कहा, ‘जैसे ही यह फैसला हमें उपलब्ध हो जाता है, हम इसका अध्ययन करेंगे। हम अपने कानूनी सलाहकारों से मशविरा करेंगे और उसके बाद अगले कदम पर फैसला करेंगे। अगर अध्ययन के बाद मजबूत तकनीकी आधार मिले, तो हम फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने पर भी विचार करेंगे।’

सीओएआइ के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा कि अदालत का यह फैसला वह लाठी है जो टेलीकॉम सेक्टर की कमर तोड़ देगा। मैथ्यूज ने कहा कि मौजूदा तनाव की स्थिति में यह फैसला उद्योग के लिए विनाशकारी होगा। डेलॉय इंडिया में प्रौद्योगिकी मीडिया और दूरसंचार (टीएमटी) के लीडर हेमंत जोशी ने कहा कि यह पहले से घाटे में चल रहे दूरसंचार उद्योग पर और दबाव बढ़ाएगा।

मामला क्या है

टेलीकॉम कंपनियों को अपनी कमाई का एक हिस्सा लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम शुल्क के मद में सरकार को देना होता है। इस शुल्क को एजीआर कहते हैं। टेलीकॉम कंपनियों और सरकार के बीच एजीआर में शामिल मदों को लेकर लगभग दो दशकों से मतभेद है। यह मामला आखिरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां कोर्ट ने एजीआर तय करने के सरकार के तरीके को वैध ठहराया। ऐसे में अब टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर के बकाया मद में सरकार को करीब 92,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।


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